चींटियों की सेना किसी भी देश की मिलिट्री के लिए बेहतरीन उदाहरण हो सकती है। एक शोधार्थी ने चींटियों के समूह का अध्ययन करने के बाद यह बात कही। चींटियों के समूह के अध्ययन से जो तथ्य पता चले हैं उन पर स्पेन की आर्मी अमल भी करने जा रही है।
चींटियों की सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि वे अपने भोजन तक पहुँचने के लिए सबसे छोटा रास्ता तलाश लेती हैं और सेना को भी जल्दी ऑपरेशन करने के लिए इस तरह के रास्ते की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। स्पेन के ग्रेनाडा विश्वविद्यालय की मोरा गेरसिआ ने अध्ययन करके बताया कि चींटियों का अपने समूह में जो अनुशासन रहता है वह किसी भी देश के सैनिकों की टुकड़ी के लिए अनुकरणीय है।
शोध में चींटियों के समूह की दूसरी यह खासियत सामने आई कि वे बहुत तेजी से एक जगह से दूसरी जगह पहुँचती हैं पर आपस में कभी उनकी टक्कर नहीं होती और भूल से भी कोई चींटी दुर्घटना में जख्मी नहीं होती। सेना में भी इसी तरह के तालमेल की जरूरत होती है।
इतना ही नहीं चींटियों के समूह में आपसी संवाद भी बना रहता है।
शोध करने वालों ने देखा कि एक चींटी जहाँ भी जाती है अपने पीछे फेरामोन्स स्त्रावित करती जाती है ताकि दूसरी चींटी वहाँ पहुँच सके।
खाने तक पहुँचने और खाना लेकर वापस आने में अलग-अलग रास्ते अपनाते हुए हर चींटी फेरामोन्स का स्त्रावण करती है। यह हारमोन हवा में उड़ता है। फिर बाकी चींटियाँ सूँघती हैं कि जिस रास्ते से फेरामोन्स की गंध सबसे तेज आ रही है वही सबसे ज्यादा ठीक है। जितना लंबा रास्ता होगा उतनी ही फेरामोन्स की गंध हल्की हो जाती है। जिधर गंध तेज है उस पर कम समय पहले फेरामोन्स छोड़ा गया होता है।
इस तरह का कोई शॉर्टकट ढूँढने का कोई तरीका सेना के लिए बहुत मददगार हो सकता है। इसके अलावा चींटियाँ रास्ते में आने वाली रुकावट को दूर करने के लिए भी बहुत जल्दी नए तरीके निकाल लेती हैं। जैसे आगे रास्ता बंद होने पर दूसरा रास्ता कौन सा हो सकता है। इसका पता लगाने में भी चींटियों का कोई जवाब नहीं है। चींटियों द्वारा तत्काल नया रास्ता खोज लेने का तरीका किसी भी देश की सेना के लिए महत्वपूर्ण सूचना हो सकती है।
छोटी सी चींटी दुनिया की किसी भी सेना की गाइड बन सकती है। यह बात चींटी को भी नहीं पता होगी कि जिस समय वह अपना काम कर रही है। उस समय इंसान उसे देखकर उससे मैनेजमेंट सीखने की कोशिश कर रहा है।