कंगारू मूलतः ऑस्ट्रेलिया का मूल निवासी है और यह ऑस्ट्रेलिया के विकास का प्रतीक है, क्योंकि कंगारू हमेशा आगे की ओर ही चलता है, पीछे कभी नहीं चलता। मेक्रोपोडिडा प्रजाति का यह एकमात्र प्राणी है, जो अपने बच्चों को अपनी ही खाल में बने थैले में रखता है।
जब यह 40 से 60 किमी की रफ्तार से जम्प करता है तो इसके पीछे पैर और पूंछ से अपना संतुलन बनाए रखता है। खड़े रहने पर उसकी पूंछ ही उसका सहारा होती है। यह पूर्णतः शाकाहारी होते हैं और पेड़ों की पत्तियां और घास खाते हैं। ये बिना पानी पीए कई दिनों तक रह सकते हैं। नर कंगारू को बूम, मादा कंगारू को डो और कंगारू के बच्चे को जॉय कहा जाता है।
इनकी आंखें बहुत तेज होती हैं परंतु ये सिर्फ चलती-फिरती वस्तुओं को ही देख पाते हैं। इनके कान बहुत तेज होते हैं। वास्तव में यह प्राणी झुंड बनाकर रहना पसंद करता है। कंगारू के झुंड में तीन से लेकर 100 कंगारू तक हो सकते हैं। कंगारू का बच्चा 12 से 17 महीने की उम्र तक स्तनपान करता है और उसके बाद थैले से बाहर निकल जाता है।