मनपसंद चॉकलेट खरीदना हो या फिर प्यारा सा खिलौना या झूलना हो झूला तो किस चीज की जरुरत पड़ती है? बिल्कुल ठीक पहचाना पैसे की...। बगैर पैसे के हम अपनी मनपसंद चीजों को हासिल नहीं कर सकते।
दुनिया रुपए-पैसों के लेन-देन से ही चलती है। आज हम जिस पैसे को चवन्नी, अठन्नी या रुपए-नोट के रूप में जानते हैं, मानव जीवन में इसकी शुरुआत कैसे हुई?
तो चलो जानते हैं कि पैसे दुनिया में कैसे आए? इसके अनेक नाम है। पैसे को धन, मुद्रा, नोट, रुपए और लक्ष्मी का नाम भी दिया जाता है। प्राचीन काल में इसे मुद्रा कहा जाता था। प्राचीन काल में जब लोगों को किसी चीज की आवश्यकता पड़ती थी, तब वे आपस में चीजों के आदान-प्रदान से अपनी जरूरत की चीजों को हासिल करते थे।
मान लीजिए फल बेचने वाले को दूध की आवश्यकता होती और दूधवाले को फल की। तो वह दूध वाले को फल देकर उससे दूध ले लेता था और इसी तरह दूध वाला फल लेता था। अतः उस समय यही वस्तुएँ मुद्रा का काम करती थी। आज भी छोटे-छोटे गाँवों में कुछेक चीजों का इसी प्रकार आदान-प्रदान किया जाता है। यह तो आप जानते ही होंगे। कुछ समय बाद लोगों को कई तरह से वस्तुओं का आदान-प्रदान करना मुश्किल लगने लगा, तब लोगों ने दुर्लभ वस्तुओं के टुकड़ों को मुद्रा के रूप में उपयोग करना शुरू किया।
अगर हम इतिहास पर नजर डालें तो हम देखते हैं कि 700 वर्ष पूर्व धातुओं के टुकड़ों का मुद्रा के रूप में प्रयोग के प्रमाण मिलते हैं। यह प्रयोग एशिया में लीडियंस ने किया था। यह प्रयोग लोगों को पसंद आया। धातु के टुकड़ों की कीमत धातु उपलब्धता के अनुरूप होती थी। इन मुद्रा रूपी टुकड़ों का खुरदरा आकार प्रकार रहता था। अधिकतर सोने, चाँदी और तांबे का उपयोग होता था।
कुछ समय बाद चीन में 9वीं शताब्दी के दौरान कागज की मुद्रा उपयोग में लाई गई। इसके बाद योरोप में 17वीं शताब्दी के समय कागज की मुद्रा का प्रचलन बढ़ा और मुद्रा की कई कमियों को भी दूर किया गया। कई देशों की सरकारें इस कागजी मुद्रा के प्रयोग को अपनाने लगीं। कागज पर उसकी कीमत भी छापी जाती थी।
सिक्के या क्वॉइन की अपेक्षा कागजी नोट से लेन-देन आसान होता है। इसीलिए नोटों का उपयोग बड़े लेन-देन के लिए लोगों को सुविधाजनक लगता है, लेकिन अभी तुमको नोटों की जरूरत नहीं है, इसलिए बड़े होने तक तुम क्वाइन से ही चॉकलेट खरीदो।
इसके बाद तो विभिन्न देशों ने इन रुपए-पैसों के साथ कई प्रयोग किए। सभी देशों ने अपने-अपने यहाँ की मुद्रा को अलग-अलग नाम भी दिया। किसी ने इसे रुपए कहा, किसी ने टका, कहीं पर दीनार, डॉलर, येन, फ्रेंक और न जाने क्या-क्या?
नोटों और सिक्कों पर विभिन्न देशों ने अपने देश के महान पुरुषों के चित्र, राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह, पशु-पक्षियों के चित्र भी प्रकाशित किए हैं। बड़े ध्यान से गौर करने पर चाँदी के पतले तार भी आपको दिखाई देंगे।
अन्य जानकारीः
- 1685 में जब फ्रेंच कोलोनिस्ट को कनाडा में सिक्कों की कमी हो गई थी, तब उन्होंने ताश के पत्तों का उपयोग मुद्रा के रूप में किया था।
- मई 1841 से मई 1842 तक मेक्सिको में साबुन की बट्टी का उपयोग पैसों के रूप में किया गया था।