राजस्थानी पगड़ी का रंग लोग मौसम के अनुरूप बदलते रहते हैं। पगड़ियों के यह रंग मनोभावों को भी व्यक्त करते हैं। साल के शुरुआती महीनों में बांधी जाने वाली पीली पगड़ी मौसम के साथ मलिन होती हुई माघ आते-आते हलके पीले रंग में बदल जाती है।
* फागुन का रंग चढ़ता है तो लोग गुलाबी रंग की पगड़ी पहनना पसंद करने लगते हैं।
* अप्रैल आते-आते पगड़ी का रंग नारंगी हो जाता है।
* जेष्ठ की गर्मी छाती है तो पगड़ी का रंग फिर से पीला हो जाता है।
* आषाढ़ में उमड़ते-घुमड़ते काले मेघों के मौसम में लोग हलके गुलाबी रंग की पगड़ी बांधने लगते हैं।
* जुलाई में सफेद पगड़ी बांधी जाती है तो बरसात में पुरुष लहरिया पगड़ी धारण करते हैं और महिलाएं लहरिया साड़ी पहनती हैं।
* भाद्रपद यानी सितंबर में प्रायः भूरे रंग की पगड़ी पहनी जाती है।
* अश्विन-कार्तिक यानी अक्टूबर में हल्के लाल रंग की पगड़ी पहनी जाती है।
* मार्गशीर्ष यानी नवंबर में नारंगी रंग की पगड़ी बांधते हैं, तो अंग्रेजी साल का अंत आते-आते यानी बंधेज रंग की पगड़ी धारण की जाती है।
* दुख या संकट के समय पहनी जाने वाली पगड़ी का रंग सफेद होता है तो शादी अथवा तीज-त्योहार में पगड़ी का रंग लाल होता है।