श्रावण मास में मनाए जाने वाले त्योहार रक्षाबंधन को भारत के कई भागों में श्रावणी के नाम से भी जाना जाता है। दक्षिण भारत में इस त्योहार को नारियल पूर्णिमा, पश्चिम बंगाल में गुरु महा पूर्णिमा तथा पड़ोसी देश नेपाल में इसे जनेऊ पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है।
आइए जानें इसकी विविधताओं के बारे में :-
गुजरात : गुजरात में इस दिन जगह-जगह गरबा नृत्य खेला जाता है, लोग रंग-बिरंगे परिधानों से सज-धजकर गरबा खेलते हैं। साथ ही साथ लोक नाटक तथा कठपुतलियों के द्वारा भाई-बहन के आपसी प्यार का संदेश देती हुई प्राचीन कथाओं का आयोजन होता है, जिनमें लोग बड़ी संख्या में भाग लेते हैं। राखी पर्व यहां अलग ही ढंग से मनाया जाता है।
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बंगाल-बिहार : बंगाल और बिहार में कुछ जगह रक्षाबंधन को मनाने का एक अनोखा तरीका है। बच्चे साधु वेश बनाकर घर-घर जाकर दक्षिणा मांगते हैं। इस त्योहार को यहां गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाते हैं। गुरु के प्रति ऋण के रूप में मानकर इस दिन दान-दक्षिणा करते हैं। उच्च वर्ग के लोग गुरुओं के लिए एक बड़े भोज का आयोजन करते हैं।
दक्षिण भारत : राखी पर्व के दिन सुबह लोग समुद्र तटों पर यज्ञों में आहूती देकर जनेऊ धारण करते हैं। जनेऊ धारण करने की यह परम्परा पड़ोसी देश नेपाल में भी होती है। दक्षिण भारत में लोग इस दिन उपवास रखते हैं। ब्राह्मणों को भेजन देकर रात्रि में नए-नए मिष्ठानों द्वारा व्रत खोला जाता हैं। उसी समय संगीत तथा लोक नृत्यों का भी आयोजन होता है।
उत्तरी भारत : उत्तरी भारत में रक्षाबंधन के दिन बहन भाई की कलाई पर राखी बांधकर उसे मिठाई खिलाती है। भाई उसकी रक्षा का वचन लेकर बहन को उपहार देता है। इस दिन पतंगबाजी जैसा मनोरंजक खेल खेला जाता है। बच्चों के साथ-साथ बड़े भी पतंगबाजी का मजा लेते हैं। भारत के कई क्षेत्रों में इस दिन बच्चे कांच से बने कंचों से भी खेलते हैं।
नेपाल : सुबह से ही लोग पशुपतिनाथ मंदिर में घर में बनाए हुए व्यंजनों का भोग लगाते हैं। नदी तटों पर लोग बच्चों का मुंडन करवाते हैं और उनके बाल नदी में बहाते हैं। गायों की पूजा-अर्चना कर उन्हें चने देते हैं, रात में लोक नृत्यों का आयोजन कर बौद्ध भिक्षुओं से प्रवचन सुनते हैं। इस तरह नेपाल में रक्षाबंधन को कुछ अलग ढंग से ही मनाया जाता है।