शांतनु रघुनाथ शेंडे
राम के मंदिर में कुछ साधु-संत बैठे थे। सहज बात चली राम बड़े या मंदिर। सबने कहा - राम बड़े। एक ने बुद्धिमानी दिखाकर पूछा - राम बड़े तो मंदिर में क्यों पड़े? तो मंदिर बड़ा। मंदिर बड़ा तो पृथ्वी पर क्यों खड़ा? बहस बढ़ती गई। तो पृथ्वी बड़ी।
पृथ्वी बड़ी तो शेषनाग के फन पर क्यों खड़ी? तो शेषनाग बड़ा। शेषनाग बड़ा तो शंकर जी के गले में क्यों पड़ा? तो शंकर जी बड़े। शंकर जी बड़े तो हिमालय पर क्यों खड़े? तो हिमालय बड़ा। हिमालय बड़ा तो हनुमान जी के हाथ में क्यों पड़ा? तो शंकरजी बड़े। शंकर जी बड़े तो हिमालय पर क्यों खड़े? तो हिमालय बड़ा। हिमालय बड़ा तो हनुमान जी के हाथों में क्यों पड़ा? तो हनुमान बड़े। हनुमान बड़े तो राम के चरणों में क्यों पड़े? क्योंकि राम बड़े।
साभार : देवपुत्र