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लैब से बाहर का साइंस

मधुमक्खी और चींटी जिम्मेदार नागरिक

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अभी तक हमें यह तो पता था कि मधुमक्खी और चींटियाँ परिश्रम करने से जी नहीं चुराती। अब इन जीवों को देखने वाले विज्ञानियों का कहना है कि वे दोनों जीव जिम्मेदार नागरिक होने का बेहतर उदाहरण पेश करते हैं।

अध्ययनकर्ताओं ने देखा कि चींटी और मधुमक्खी अपने समूह में रहने वाले दूसरे साथियों का भी पूरा ख्याल रखती हैं। मौका पड़ने पर ये दोनों ही जीव दूसरे साथी को बचाने के लिए अपनी जान भी गँवाने में संकोच नहीं करते। इस तरह की जिम्मेदारी का भाव मछलियों और जंगली भैंसों के समूह में नहीं पाया जाता।

अध्ययन करने वालों ने जब मधुमक्खी के छत्ते पर बारीकी से नजर रखी तो पाया कि उनमें एक-दूसरे के व्यवहार को नियंत्रण करने के लिए पुलिसिंग सिस्टम होता है जिसके जरिए अगर दो मधुमक्खियों में विवाद की स्थिति बनती है तो तुरंत सुलझा ली जाती है।

पुलिस व्यवस्था तो मनुष्यों के लिए भी है पर फिर भी हम कहाँ सुनते हैं। मनुष्य प्रकृति में सबसे बुद्धिमान जीव कहा जाता है पर वह क्या चींटी और मधुमक्खी की तरह व्यवहार करता है? सड़क पर, घर में, दफ्तर में और अन्य जगहों पर मनुष्य ज्यादा नियम तोड़ता रहता है। जब प्रकृति में ये नन्हे जीव अपनी जिम्मेदारी समझते हैं तो हम क्यों नहीं?

अध्‍ययन करने वाले डॉ. गार्डनर का कहना है कि समूह में रहने की भावना तो बहुत से जानवरों में होती है पर उनमें सभी अपना बचाव पहले सोचते हैं। जैसे जंगली भैंसों के समूह में हर भैंस बीच में रहना चाहती है पर चींटी और मधुमक्खियों के मन में यह बात नहीं होती। मनुष्य को इन दोनों नन्हे जीवों से भलाई का यह पाठ जरूर सीखना चाहिए।

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