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हमारी दुनिया में सांताक्लॉज है

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यह 1897 की बात है। 8 साल की वर्जीनिया को स्कूल में उसके दोस्तों ने कहा कि सांताक्लॉज इस दुनिया में है ही नहीं। प्यारे सांताक्लॉज के बारे में ऐसा सुनकर वर्जीनिया को ठीक नहीं लगा। उसने घर जाकर पापा से पूछा- 'पापा, क्या सांताक्लॉज सचमुच है?'

पापा को उस वक्त समझ नहीं आया कि बेटी के इस छोटे-से सवाल का क्या जवाब दें। पापा ने वर्जीनिया को एक सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि तुम 'न्यूयॉर्क सन' (अखबार) को चिट्ठी क्यों नहीं लिखती। दुनियाभर की खबरें रखने वाले संपादक अंकल को जरूर मालूम होगा कि सांताक्लॉज है या नहीं। सांताक्लॉज है या नहीं इसका जवाब तुम्हें वे ही दे सकते हैं।

वर्जीनिया ने चिट्ठी लिखी- 'संपादक अंकल, मेरे दोस्त कहते हैं कि सांताक्लॉज नहीं है। मैंने पापा से भी पूछा, पर उन्होंने कहा कि आप ही इसका उत्तर दे सकते हैं। मुझे बताइए कि सांताक्लॉज है या नहीं?'

अखबार में आने वाली सैकड़ों चिट्ठियों के बीच एक छोटी बच्ची के इस अजीब से सवाल पर जब संपादक की नजर पड़ी तो पहली बार में तो वे चौंके कि इस प्रश्न का क्या जवाब दें। फिर कुछ सोचकर उन्होंने का जवाब लिखने का मन बनाया। फ्रांसिस फार्सिलस चर्च को इस चिट्ठी का उत्तर लिखने का काम मिला।

फ्रांसिस चर्च अमेरिकी गृहयुद्ध का कवरेज कर चुके थे और उन्होंने युद्ध के मैदान में लोगों की पीड़ा को करीब से देखा था। उनके अनुभव जवाब लिखते समय बहुत काम आए। फ्रांसिस ने जवाब लिखा और वह अखबार में छपा भी। अखबार में प्रकाशित यह जवाब क्रिसमस पर बहुत सारे बच्चों को यह बताता है कि सांताक्लॉज से वे कैसे मिल सकते हैं। आओ इस चिट्ठी को हम-आप भी पढ़ें-

'हाँ, वर्जीनिया, सांताक्लॉज है' :
तुम्हारे दोस्त गलत कहते हैं कि सांताक्लॉज नहीं है। वे केवल उन्हीं चीजों को मानते हैं जिन्हें उन्होंने देखा है। तुम्हारे दोस्त ही क्यों, बड़े भी उन्हीं चीजों पर विश्वास करते हैं जिन्हें देखते हैं। पर देखो, इतनी बड़ी दुनिया में हम एक चींटी जितने ही तो हैं फिर क्या हमारी इतनी समझ है कि हम दुनियाभर की चीजों को देख पाएँ। ऐसा कर पाना किसी के लिए संभव नहीं है।

हाँ, वर्जीनिया, इस दुनिया में सांताक्लॉज है। ठीक उसी तरह जैसे हम प्रेम और दया को नहीं देख पाते, उसी तरह हम सांताक्लॉज को भी नहीं देख पाते। हम सांताक्लॉज को नहीं देख पाते इसका मतलब यह नहीं कि सांताक्लॉज हमारे बीच नहीं है।

सोचो अगर सांताक्लॉज नहीं होता तो यह दुनिया कितनी बुरी होती, लोग एक-दूसरे से प्रेम नहीं करते, एक-दूसरे के बारे में सोचते भी नहीं। सोचो अगर सांताक्लॉज नहीं होता तो क्या वर्जीनिया होती! तुम मुझे बताओ कि क्या किसी ने कभी किसी बगीचे में परियों को नाचते देखा है, पर इसका मतलब यह नहीं कि परियों के किस्से झूठे हैं।

इस दुनिया में बहुत-सी ऐसी चीजें हैं जिनसे यह दुनिया सुंदर बनी है। वे चीजें हमारे बीच बनी रहनी चाहिए। सांताक्लॉज भी हमारे बीच रहना चाहिए। आज ही नहीं बल्कि आने वाले कई सालों बाद भी देखना सांताक्लॉज हमारे बीच रहेगा। वह इसी तरह बच्चों को प्यारे-प्यारे उपहार बाँटता रहेगा। इसलिए मैं सिर्फ इतना ही कहूँगा कि हाँ, वर्जीनिया, सांताक्लॉज है।'

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