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हिन्दी के बारे में 14 बातें

14 सितंबर : हिन्दी दिवस पर विशेष

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हमें फॉलो करें हिन्दी के बारे में 14 बातें
अशोक कुमार शेरी

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* राष्ट्रभाषा के बिना राष्ट्र गूँगा है। राष्ट्र के गौरव का यह तकाजा है कि उसकी अपनी एक राष्ट्रभाषा हो। कोई भी देश अपनी राष्ट्रीय भावनाओं को अपनी भाषा में ही अच्छी तरह व्यक्त कर सकता है।
* भारत में अनेक उन्नत और समृद्ध भाषाएँ हैं किंतु हिन्दी सबसे अधिक व्यापक क्षेत्र में और सबसे अधिक लोगों द्वारा समझी जाने वाली भाषा है।
* हिन्दी केवल हिन्दी भाषियों की ही भाषा नहीं रही, वह तो अब भारतीय जनता के हृदय की वाणी बन गई है।
* सर्वोच्च सत्ता प्राप्त भारतीय संसद ने देवनागरी लिपि में लिखित हिन्दी को राजभाषा के पद पर आसीन किया है। अब यह अखिल भारत की जनता का निर्णय है।
* संसार में चीनी तथा अँग्रेजी के बाद हिन्दी सबसे विशाल जनसमूह की भाषा है।
* प्रांतों में प्रांतीय भाषाएँ जनता तथा सरकारी कार्य का माध्यम होंगी, लेकिन केंद्रीय और अंतरप्रांतीय व्यवहार में राष्ट्रभाषा हिन्दी में ही कार्य होना आवश्यक है।
* प्रादेशिक भाषाएँ तथा राष्ट्रभाषा हिन्दी दोनों एक-दूसरे की पूरक तथा सहोदरा हैं। एक-दूसरे के सहयोग से वे अधिक समृद्ध होंगी।
* प्रादेशिक हिन्दी और राष्ट्रीय हिन्दी जैसी कोई चीज नहीं। जिसे आज हिन्दी कहते हैं, वही राष्ट्रभाषा है और उत्तरोत्तर विकास करके समृद्ध एवं गौरवशाली बनेगी।
* प्रत्येक मनुष्य दो आँखों से देखता है। भारत जैसे विशाल राष्ट्र के निवासी के पास भी दो आँखें चाहिए। ये दो आँखें हैं - 1. अपने प्रांत की भाषा 2. सारे देश के लिए परस्पर व्यवहार की भाषा।
* हिन्दी का प्रचार करना राष्ट्रीयता का प्रचार करना है। हिन्दी किसी पर न तो जबर्दस्ती लादी जा रही है और न लादी जाएगी। वह तो प्रेम का प्रतीक है।
* कोई भी शब्द चाहे वह किसी भी भाषा का क्यों न हो, यदि वह जनता में प्रचलित है, तो वह राष्ट्रभाषा हिन्दी का शब्द है। आगे भी हिन्दी विभिन्न भाषाओं से शब्द-राशि लेकर समृद्ध बनेगी।
* राष्ट्र की एकता के लिए जैसे एक राष्ट्रभाषा होना आवश्यक है, उसी प्रकार एक लिपि का होना भी आवश्यक है। नागरी लिपि में वे सभी गुण उपस्थित हैं, जो किसी वैज्ञानिक लिपि में होने चाहिए।
* अत: समस्त प्रादेशिक भाषाओं की एक नागरी लिपि हो, यह आवश्यक है।
* अँग्रेजी को बनाए रखना हमारी शान और इज्जत के खिलाफ है। वह हमारे देश में रहने वालों के बीच एक दीवार है। इस देश में केवल अँग्रेजी जानने वालों का राज नहीं रह सकता।
* कौन कहता है कि दक्षिण में अँग्रेजी बोलने वालों की संख्‍या अधिक है? वहाँ अँग्रेजी जानने वालों से पाँच गुना संख्‍या हिन्दी जानने तथा समझने वालों की है।
'हिन्दी दिवस के दिन हम प्रतिज्ञा करें कि राष्ट्रभाषा हिन्दी और देवनाग‍री लिपि का प्रचार कर राष्ट्रीय भावना को हम सुदृढ़ करेंगे।

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