भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी युवाओं के लिए मिसाल हैं कि अगर मन में ठान लिया जए और जी तोड़ मेहनत की जाए तो कोई भी लक्ष्य पाना मुश्किल नहीं।
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धोनी ने पिछड़े कहे जाने वाले राज्य झारखंड के रांची शहर से अपनी शुरुआत की और देखते ही देखे वे पूरी दुनिया में छा गए। आज धोनी की काबिलियत का लोहा न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर के लोग मानते हैं। भारत को विश्व कप 2011 चैंपियन बनवाकर धोनी ने देशवासियों का दिल जीत लिया।
धोनी फिलहाल विश्व क्रिकेट के सबसे कामयाब कप्तानों में से हैं। 30 साल की उम्र में उन्होंने जो सफलता हासिल की है, उस पर रश्क किया जा सकता है।
एक विकेट कीपर बल्लेबाज के तौर पर ही धोनी भारतीय क्रिकेट के अनमोल सितारे के रूप में स्थापित हो चुके हैं और उस पर अगर उन्हें कुछ क्रिकेट विशेषज्ञ भारतीय क्रिकेट का सफलतम कप्तान मान रहे हैं तो यह उनकी अतिरिक्त काबिलियत है। वनडे क्रिकेट में धोनी का औसत 51.15 है, जो साबित करता है कि अगर धोनी विकेट कीपर न भी होते तो एक विशेषज्ञ बल्लेबाज के रूप में टीम में शामिल हो सकते थे। लेकिन माही थ्री इन वन हैं। चपल विकेट कीपर, चालाक कप्तान और चतुर बल्लेबाज।
कप्तान के तौर पर धोनी विश्व कप 2011, टी-20 विश्व कप 2007, भारत को जिता चुके हैं। इसके अलावा वे जब से टेस्ट कप्तान बने हैं, उन्होंने सिर्फ एक सिरीज हारी है। बॉर्डर गावस्कर टेस्ट सिरीज जीतने के साथ ही ऑस्ट्रेलिया में ट्राएंगुलर सिरीज जीतना धोनी की कप्तानी की खास उपलब्धियों में से है।
लीग क्रिकेट में भी उन्होंने कप्तानी का कमाल दिखाते हुए आईपीएल के चार सीजन में से दो में टीम को चैंपियन बनवाया और एक में उनकी टीम चेन्नई सुपर किंग्स उपविजेता रही। एक सीजन में वे टीम को अंतिम चार तक भी ले गए। याने कुल मिलाकर टी-20 में भी धोनी एक सुपर डुपर हिट कप्तान साबित हुए।
लोकप्रियता के लिहाज से धोनी सचिन तेंडुलकर को बराबरी की टक्कर देते हैं। कई नाम कंपनियों के ब्रांड एम्सेडर धोनी ने धन और लोकप्रियता में खेल जगत से लेकर मनोरंजन की दुनिया के सितारों को पीछे छोड़ दिया है।
एक छोटे शहर रांची से निकल कर किस तरह धोनी ने अपनी तकदीर लिखी यह कहानी कई मैनेजमेंट स्कूलों में पढ़ाई जा रही है। वे युवाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं।