वाइन इंडस्ट्री में संभावनाएं
- दीपिका शर्मा
आज जोर पकड़ते कॉर्पोरेट कल्चर में वाइन हर पार्टी और सामरोह की जरूरत मानी जाने लगी है। १६ वीं शताब्दी से ही स्पेन, फ्रांस, लंदन जैसे देशों में वाइन इतनी प्रचलित हो गई है कि इसे बनाने के लिए एक खास किस्म की खेती पर जोर दिया जाने लगा। रोम के साम्राज्य में तो वाइन को 'भगवान का अमृत' की उपाधि भी दी गई। वर्तमान समय में वाइन की मांग दिनोदिन बढ़ती जा रही है और यह इतनी प्रचलित हो चुकी है कि लोगों ने वाइन के उत्पादन, वितरण आदि में अपना कॅरिअर तलाशना भी आरंभ कर दिया है। ऐसा देखा गया है कि खासकर युवाओं में इस कॅरिअर को लेकर उतना ही उत्साह और रोमांच है जितना आईटी या मेडिकल के प्रोफेशन को लेकर होता है। वाइन बिजनेस का क्षेत्र अर्थव्यवस्था के 3 प्रमुख अंगों से जुड़ा हुआ है - कृषि, उत्पादन और विनिमय। अंगूर उद्योग से सीधे तौर पर जुड़ी हुई आर्थिक गतिविधि आपके सामने विभिन्न नौकरियां लेकर आती है। बढ़ती वाइन इंडस्ट्री सबसे पहला सवाल यह है कि पश्चिमी देशों से लोकप्रिय हुई वाइन की भारत में कितनी लोकप्रियता है। यहां हम समाज के एक ऐसे वर्ग की बात कर रहे हैं जो अपनी रुचि के काम में ही कॅरिअर तलाशता है। उसकी रुचि ही उनका जुनून है और वही उनकी जीविका भी बनाती है। वाइन के सभी जानकर एक बात से सहमत होंगे कि वाइन का उत्पादन करना सिर्फ एक बिजनेस नहीं बल्कि एक कला है। इसकी गंभीरता का पता यह देखकर ही लगाया जा सकता है कि भारत में वाइन गे्रजुएशन और मैनेजमेंट के स्कूल कितनी तेजी से और किस तादाद में खुल रहे हैं। लोग आज इस विषय में रुचि दिखाने लगे हैं कि प्रोफेशनल क्वालिटी की वाइन बनाने, अंगूरों का चयन करने और बोतलों को अच्छे तरीके से प्रस्तुत करने के लिए फॉर्मल प्रशिक्षण कहां से लिया जाए। प्रशिक्षण का दायरा वाइन मैनेजमेंट स्कूलों के प्रशिक्षण कार्यक्रमों में छात्रों को अंगूर की समस्त किस्मों के बारे में जानने, वाइन की प्रोसेसिंग समझने का और वाइन की बोटलिंग करने के तरीके को सीखने का अवसर मिलता है