वर्ष 2023 में गुड फ्राइडे 7 अप्रैल को मनाया जा रहा है। यह दिन ईस्टर से ठीक पहले के शुक्रवार को पड़ता है। गुड फ्राइडे के दिन ईसा मसीह को सूली पर लटका दिया गया है और ईस्टर यानी संडे के दिन उनको मैरी मैग्डलीन ने एक गुफा के पास देखा था। ईसा मसीह को सूली दिए जाने के कारण पर विद्वानों में मतभेद है। प्रचलित मान्यता पर आधारित जानिए मुख्यत: 2 कारण।
1. पहला कारण : कहते हैं कि लोगों के बीच लोकप्रिय ईसा मसीह ने नबूवत का दावा किया था, जिसके चलते यहूदियों में रोष फैल गया था। उस दौरान नबूवत का दावा करने वाले और भी कई लोग थे। नबूवत का दावा करना अर्थात नबी, ईशदूत, प्रॉफेट या पैगंबर होने की घोषणा करना है। कहते हैं कि यहूदियों के कट्टरपंथियों को ईसा मसीह द्वारा खुद को ईश्वर पुत्र बताना अच्छा नहीं लग रहा था। उधर, रोमनों को भी ईसा की बढ़ती लोकप्रियता से डर लगने लगा था। उन्हें हमेशा यहूदी क्रांति का डर सताता रहता था, क्योंकि उन्होंने यहूदी राज्य पर अपना शासन स्थापित कर रखा था। इसी कारण रोमनों के गवर्नर पितालुस ने यहूदियों की यह मांग स्वीकार कर ली की ईसा को क्रूस पर लटका दिया जाए।
2, दूसरा : एक थ्योरी यह भी कहती है कि ईसाया की बुक ओल्ड टेस्टामेंट के अनुसार कहते हैं कि येशु जब गधे के बच्चे पर बैठकर आते हैं येरुशलम में खजूर की डालियां उठाकर वे लोग उनका स्वागत करते हैं, जो यह मान रहे थे कि यह बनी इस्राइल के तामाम दुश्मनों को हरा देगा। फिर यीशु जाते हैं टेम्पल मांउट के ऊपर और वे देखते हैं कि टेम्पल के जो आउटर कोटयार्ड है उसके अंदर रोमन टैक्स कलेक्टर बैठे हैं, मनी चेंजरर्स बैठे हैं और वहां पर हर तरह का करोबार हो रहा है। यह देखकर यीशु को बहुत दु:ख होता है कि टेम्पल (पवित्र मंदिर) में इस तरह का कार्य हो रहा है तो वह अपना कबरबंध निकालकर उससे उन लोगों को मार-मार कर उन्हें वहां से निकाल देते हैं। बाद में जब रोमनों के गवर्नर को यह पता चलता है तो वे इसकी सजा के तौर पर यीशु को सूली देने का ऐलान कर देते हैं।
उल्लेखनीय है कि इसराइल एक यहूदी राज्य है और येरुशलम उसकी राजधानी जिस पर उक्त काल में रोमनों ने उसी तरह कब्जा कर रखा था जिस तरह की अंग्रेजों ने अन्य कई देशों पर कर रखा था।
हालांकि हम नहीं जानते हैं कि सच क्या है। उक्त बातें प्रचलित मान्यताओं पर आधारित हैं। परंतु यह तो सिद्धि होता है कि ईसा मसीह से एक ओर जहां यहूदी खफा थे वहीं रोमन भी। हालांकि यहूदियों का सजा देने का अपना तरीका होता है और वह अपने शुत्र की सजा खुद ही देते थे। ज्यादातर वे सजा के तौर पर संगसार करते थे। उनका सूली देने का तरीका भी सामान्य ही होता था।