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दूर से दूर तलक एक भी दरख्त न था

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हमें फॉलो करें दूर से दूर तलक एक भी दरख्त न था
- नीर

ND
दूर से दूर तलक एक भी दरख्त न था
तुम्हारे घर का सफ़र इस क़दर सख्त न था

इतने मसरूफ़ थे हम जाने के तैयारी में,
खड़े थे तुम और तुम्हें देखने का वक्त न था

मैं जिस की खोज में ख़ुद खो गया था मेंले में,
कहीं वो मेरा ही एहसास तो कमबख्त न था

जो ज़ुल्म सह के भी चुप रह गया न ख़ौल उठा,
वो और कुछ हो मगर आदमी का रक्त न था

उन्हीं फ़क़ीरों ने इतिहास बनाया है यहाँ,
जिन पे इतिहास को लिखने के लिए वक्त न था

शराब कर के पिया उस ने ज़हर जीवन भर,
हमारे शहर में 'नीरज' सा कोई मस्त न था।

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