Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

Gudi padwa 2024: हिंदू नववर्ष कैसे मनाते हैं, जानें गुड़ी पड़वा की पूजा विधि

हमें फॉलो करें gudi padwa 2024

अनिरुद्ध जोशी

Hindu New Year 2081: चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि से हिंदू नववर्ष प्रारंभ होता है जिसे नव संवत्सर, गुड़ी पड़वा, उगादि, विक्रम संवत, युगादि, वरेह, चेटीचंड, विशु, वैशाखी, चित्रैय तिरुविजा, सजिबु नोंगमा पानबा, मेइतेई चेइराओबा आदि के नाम से जाना जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह 09 अप्रैल 2024 मंगलवार से प्रारंभ होगा। इस दिन अमृत सिद्धि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और शश राजयोग का संयोग बन रहा है। रेवती और अश्विनी नक्षत्र भी संयोग बन रहा है। इस दिन चंद्रमा गुरु की राशि मीन में होंगे। शनि देव स्वयं की राशि कुंभ में विराजमान होकर शश राजयोग का भी निर्माण होगा। वर्ष का राजा मंगल और मंत्री शनि है।
 
  • नव वर्ष फल श्रवण (नए साल का पंचांग पढ़ना)
  • तैल अभ्यंग (तैल से स्नान करना)
  • निम्ब-पत्र प्राशन (नीम के पत्ते खाना)
  • ध्वजारोपण (घर पर झंडा लगाना)
  • चैत्र नवरात्रि का आरंभ (घटस्थापना)
 
इंदौर समय अनुसार-
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ- 08 अप्रैल 2024 को रात्रि 11:50 बजे।
प्रतिपदा तिथि समाप्त- 09 अप्रैल 2024 को रात्रि 08:30 बजे।
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष में जिस दिन सूर्योदय के समय प्रतिपदा हो, उस दिन से नवसंवत्सर आरंभ होता है।
 
09 अप्रैल 2024 मंगलवार का शुभ समय मुहूर्त:-
ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 03.56 से प्रातः 04.44 तक।
प्रातः संध्या-  04.20 से प्रातः 05.32 तक।
अभिजीत मुहूर्त- 11.06 पूर्वाह्न से 11.54 पूर्वाह्न तक।
विजय मुहूर्त- 01.30 अपराह्न से 02.17 अपराह्न तक।
webdunia
Gudi Padwa 2024
गुड़ी पड़वा पर्व मनाने की विधि:
 
1. गृह सज्जा: सूर्योदय से पूर्व उठकर घर की साफ सफाई करने के बाद घर को तोरण, मांडना या रंगोली, ताजे फूल आदि से सजाया जाता है। गांवों में गोबर से घरों को लीपा जाता है।
 
2. अभ्यंग स्नान : अरुणोदय काल के समय अभ्यंग स्नान अवश्य करना चाहिए। लोग प्रातः जल्दी उठकर शरीर पर तेल लगाने के बाद स्नान करते हैं।
 
3. गुड़ी पूजा : मराठी समाज गुड़ी को बनाकर उसकी पूजा करके घर के द्वारा पर ऊंचे स्थान पर उसे स्थापित करते हैं। गुड़ी पड़वा दो शब्दों से मिलकर बना हैं। जिसमें गुड़ी का अर्थ होता हैं विजय पताका और पड़वा का मतलब होता है प्रतिपदा।
 
4. धर्म ध्वजा : सभी समाज के लोग धर्म ध्वजा को मकान के उपर लहराते हैं। हिन्दू अपने घरों पर भगवा ध्वज लहराकर उसकी पूजा करते हैं। इस कार्य को विधि पूर्वक किया जाता है जिसमें किसी भी प्रकार की गलती नहीं करना चाहिए।
 
5. नीम का सेवन : इस दिन कड़वे नीम का सेवन आरोग्य के लिए अच्छा माना जाता है। मीठे नीम की पत्तियां प्रसाद के तौर पर खाकर इस त्योहार को मनाने की शुरुआत करते हैं। नीम की पत्तियों, गुड़ और इमली की चटनी बनायी जाती है। इससे रक्त साफ होता है और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। इसका स्वाद यह भी दर्शाता है कि चटनी की ही तरह जीवन भी खट्टा-मीठा होता है।
 
6. श्रीखंड : इस दिन श्रीखंड का सेवन करके ही दिन की शुरुआत करते हैं। इससे संपूर्ण वर्ष अच्‍छा रहता है। 
webdunia
7. पारंपरिक व्यंजन : इस दिन पारंपरिक व्यंजन तैयार किए जाते हैं जैसे पूरन पोली, पुरी और श्रीखंड, खीर, मीठे चावल जिन्हें लोकप्रिय रूप से सक्कर भात कहा जाता है| हर प्रांत के अपने अलग व्यंजन होते हैं।  गुड़ी पड़वा पर श्रीखण्ड, पूरन पोळी,  आदि पकवान बनाए जाते हैं।
 
8. पारंपरिक वस्त्र : इस दिन साफ और सुंदर वस्त्र पहनकर लोग तैयार हो जाते हैं। आम तौर पर मराठी महिलाएं इस दिन नौवारी (9 गज लंबी साड़ी) पहनती हैं और पुरुष केसरिया या लाल पगड़ी के साथ कुर्ता-पजामा या धोती-कुर्ता पहनते हैं।
 
9 पंचांग श्रवण : इस दिन किसी पंडित को बुलाकर नए वर्ष का भविष्यफल और पंचाग सुनने-सुनाने की भी परम्परा है। इस दिन किसी योग्य ब्राह्मण से पंचांग का भविष्यफल सुना जाता है।
 
10. घट स्थापना : इस दिन से चैत्र नवरात्रि का पर्व प्रारंभ होता है इसलिए सभी घरों में कलश और घट स्थापना होती है। 
 
12. पूजा पाठ : इस दिन हनुमान पूजा, दुर्गा पूजा, श्रीराम, विष्णु पूजा, श्री लक्ष्मी पूजा और सूर्य पूजा विशेष तौर पर की जाती है। इस दिन से दो दिन के लिए दुर्गा सप्तशति का पाठ या राम विजय प्रकरण का पाठ की शुरुआत की जाती है। 
 
13. शुभ कार्य : इस दिन कोई अच्‍छा कार्य किया जाता है। जैसे प्याऊ लगाना, ब्राह्मणों या गायों को भोजन कराना। इस दिन बहिखाते नए किए जाते हैं। इस दिन नए संकल्प लिए जाते हैं।
 
14. जुलूस : इस दिन जुलूस का आयोजन भी होता है। लोग लोग नए पीले परिधानों में तैयार होते हैं और एक दूसरे से मिलकर नव वर्ष की बधाई देते हैं। लोग अपने दोस्तों और परिवार के साथ उत्सव का आनंद लेते हैं और सड़क पर जुलूस का हिस्सा बनते हैं। परिजन इस पर्व को इकट्ठे होकर मनाते हैं व एक-दूसरे को नव संवत्सर की बधाई देते हैं। शाम के समय लोग लेज़िम नामक पारम्परिक नृत्य भी करते हैं।
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

April Birthday : अप्रैल माह में जन्मे हैं तो जान लीजिए अपनी खूबियां