नई दिल्ली/अहमदाबाद। गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा के टिकट बंटवारे के बाद मचे घमासान के परिदृश्य में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और गुजरात की पूर्व मुख्यमंत्री आनंदी बेन पटेल के बीच अंदरूनी कलह सामने आ रही है।
पार्टी के भीतरी तबकों का मानना है कि शाह और श्रीमती पटेल के बीच कलह का खामियाजा चुनाव में पार्टी को भुगतना पड़ सकता है। फिलहाल पटेल के विश्वस्त सहयोगियों को पहले से टिकट से वंचित कर दिए जाने के परिप्रेक्ष्य में शक्ति संतुलन शाह के पक्ष में प्रतीत हो रहा है।
श्रीमती पटेल की भतीजी एवं मंत्री वासुबेन त्रिवेदी तथा पूर्व मंत्री आईके जडेजा को भाजपा ने इस बार टिकट से वंचित कर दिया है। वर्ष 2002-2007 के दौरान नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्रित्व काल में उनके काफी करीबी रहे जडेजा का किनारे कर दिया जाना एक अप्रत्याशित कदम माना जा रहा है।
धरांगधरा सीट से दो बार विधायक रहे जडेजा ने कुछ समय राज्य मंत्रिमंडल के प्रवक्ता के रूप में कर्तव्य का निर्वहन भी किया था, लेकिन इस बार वाधन सीट से टिकट के लिए उनकी मांग ठुकरा दी गई और पार्टी ने एक उद्योगपति धनजी भाई पटेल को उम्मीदवार बनाया है।
ऐसे ही एक और मामले में पूर्व शिक्षा, महिला एवं बाल कल्याण मंत्री वासुबेन त्रिवेदी को भी भाजपा नेतृत्व ने इस बार टिकट नहीं दिया।
भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति ने 15 मौजूदा विधायकों की टिकटों के लिए मांग पर विचार ही नहीं किया और उन्हें पार्टी उम्मीदवार नहीं बनाया। राज्य के मंत्रियों वल्लभ वगाहसिया, नानु वनानी और जयंती कावड़िया को उनके निर्वाचन क्षेत्र में पाटीदार समुदाय के प्रदर्शन तेज होने के बाद पार्टी ने टिकट से वंचित कर दिया। (वार्ता)