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गुजरात में पहले चरण का प्रचार खत्म

हमें फॉलो करें गुजरात में पहले चरण का प्रचार खत्म
अहमदाबाद (भाषा) , शुक्रवार, 21 दिसंबर 2007 (19:43 IST)
गुजरात के लगभग पौने दो करोड़ मतदाताओं को रिझाने के लिए 'मौत का सौदागर', 'हिन्दू आतंकवादी और इसके जवाब में की गई टिप्पणियों के साथ राज्य विधानसभा के मंगलवार को होने वाले पहले चरण के मतदान के लिए चला प्रचार अभियान रविवार शाम समाप्त हो गया। उम्मीदवार अब मतदाताओं के घर-घर जाकर उन पर डोरे डालने का प्रयास करेंगे।

राज्य विधानसभा चुनावों के अब तक के इतिहास की सबसे तीखी चुनावी जंग के पहले चरण में 182 सदस्यीय विधानसभा की 87 सीटों पर मतदान 11 दिसंबर को होगा। बाकी बची सीटों पर मतदान दूसरे चरण में 16 दिसंबर को कराया जाएगा।

दक्षिण गुजरात सौराष्ट्र और कच्छ क्षेत्र में पहले चरण के मतदान के दौरान करीब एक करोड़ 78 लाख 77 हजार 771 मतदाता 669 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करेंगे जिनमें 53 महिलाएँ भी शामिल हैं।

शुरू में सामान्य तौर पर आरंभ हुआ प्रचार अभियान पिछले सप्ताह अचानक कटु हो गया, जब कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने अपने चुनावी भाषण में मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ मौत के सौदागर की टिप्पणी की और उसके बाद जैसे को तैसा की शैली अपनाते हुए भाजपा के हिन्दुत्व चेहरे ने दिसंबर 2005 के सोहराबुद्दीन फर्जी मुठभेड़ मामले का जिक्र कर तूफान खड़ा कर दिया।

मोदी के खिलाफ सोनिया की टिप्पणी का कांग्रेस पूरा समर्थन कर रही है, जबकि गुजरात के मुख्यमंत्री ने चुनाव आयोग से मिले नोटिस के जवाब में कहा है कि उन्होंने कभी भी सोहराबुद्दीन के मुठभेड़ में मारे जाने को न्यायोचित नहीं ठहराया।

राज्य में राजनीतिक माहौल कांग्रेस महासचिव दिग्विजयसिंह की टिप्पणी से और गंभीर हो गया, जिन्होंने कहा कि गुजरात में हिन्दू आतंकवादी हैं। इन टिप्पणियों को लेकर शिकायतें की गईं और कांग्रेस तथा भाजपा नेताओं के बयान बहस के विषय बन गए। चुनाव आयोग ने इन टिप्पणियों के बारे में नोटिस जारी किया है।

चुनाव प्रचार समाप्ति वाले दिन कांग्रेस ने मोदी पर हमला तेज कर दिया और पार्टी के महासचिव सत्यव्रत चतुर्वेदी ने नई दिल्ली अपने अध्यक्ष की टिप्पणी का परोक्ष तौर पर बचाव करते हुए कहा कि राक्षसों का मुकाबला देवो की भाषा में नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा यदि आप राक्षसों का मुकाबला कर रहे हों तो आप देवों की भाषा नहीं बोलते।

इस चुनाव में मोदी की प्रतिष्ठा दाँव पर है, जिन्होंने अपनी छवि के बल पर अपनी पार्टी को फिर से सत्ता में लाने का बीड़ा उठाया है।

दूसरी ओर कांग्रेस ने मोदी के खिलाफ आक्रामक प्रचार किया है, जिसमें गुजरात भाजपा के बागियों का उसे साथ मिला है। इन बागियों में से आठ ने बाद में विपक्ष का दामन थाम लिया और वे इसके टिकट पर चुनाव मैदान में हैं।

कांग्रेस ने अन्य छोटी पार्टियों के साथ सीटों की साझेदारी कर उनके साथ तालमेल बिठाने का प्रयास किया है। हालाँकि उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती के नेतृत्व वाली बसपा अपने बूते पर राज्य में चुनाव लड़ रही है।

विश्लेषकों के अनुसार सौराष्ट्र और कच्छ में मतदान की गुजरात में नई सरकार के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका होगी। इस क्षेत्र में अन्य के मुकाबले सर्वाधिक 58 सीटे हैं। यह क्षेत्र भाजपा के विद्रोही और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल का गृह क्षेत्र है।

वर्ष 2002 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने इस क्षेत्र में 39 सीटों पर कब्जा किया था, जबकि कांग्रेस को 18 सीटें मिली थीं और एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार ने झंडा बुलंद किया था। राज्य में दो चरण में होने वाले चुनाव की मतगणना 23 दिसंबर को होगी।

दक्षिण गुजरात में 29 सीटों पर मुकाबला है और भाजपा तथा कांग्रेस एक दूसरे को बराबरी की टक्कर दे रही हैं। यहाँ भी भाजपा के असंतुष्ट नेता काशीराम राणा पार्टी को काफी नुकसान पहुँचा सकते हैं।

वर्ष 2002 में भाजपा ने इस क्षेत्र में 16 सीटें जीती थीं जबकि कांग्रेस को 11 पर सफलता मिली थी और दो सीटों पर जदयू को कामयाबी मिली थी।

पहले चरण के चुनाव में नरेन्द्र मोदी सरकार के 10 मंत्रियों के भाग्य का फैसला होगा जिसमें उनकी सरकार में नंबर दो की हैसियत रखने वाले वजुभाई वाला भी शामिल हैं, जो राजकोट द्वितीय विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं।

भाजपा ने सभी 87 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं जबकि कांग्रेस 82 सीटों पर लड़ रही है। बसपा ने 78, राकांपा ने चार, भाकपा ने एक और माकपा ने एक सीट पर प्रत्याशी उतारा है। मैदान में 416 निर्दलीय और अन्य उम्मीदवार हैं।

चुनाव आयोग ने मतदान के लिए 19924 मतदान केंद्र बनाए हैं। मतदान के लिए 19924 इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों का इस्तेमाल होगा।

इलाके में क्षेत्र के मुताबिक सबसे बड़ी विधानसभा अब्दासा है, जबकि मतदाताओं की संख्या 84 में सबसे ज्यादा 15 लाख 93 हजार 907 है। मतदाताओं की संख्या के अनुसार सबसे छोटा क्षेत्र मनवादार है, जहाँ एक लाख 25 हजार 902 मतदाता हैं।

सभी क्षेत्रों में भाजपा और विपक्षी कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला होने के आसार हैं। पोरबंदर में सबसे ज्यादा 15 प्रत्याशी मैदान में हैं, जबकि केशोड, महुवा और गनदेवी में तीन-तीन उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं जो प्रत्याशियों की संख्या के मुताबिक सबसे कम हैं।

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