विधानसभा चुनाव से पहले गुजरात भाजपा में हर रोज हो रही नई बगावत की श्रृंखला में शनिवार को वरिष्ठ नेता सुरेश मेहता ने भी पार्टी से किनारा कर लिया। उन्होंने भाजपा पर नरेंद्र मोदी के सामने झुकने का आरोप लगाया।
मेहता ने शनिवार को औपचारिक तौर पर पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पुरुषोत्तम रूपाला को अपना इस्तीफा सौंपा।
इस्तीफे की घोषणा करते हुए वरिष्ठ नेता ने कहा कि मैंने जिंदगी के 50 साल पार्टी के निर्माण में खर्च किए हैं। मैं वह घर छोड़ रहा हूँ, जिसे महल बनाने में मैंने मेहनत की अब यह घर मेरे रहने लायक नहीं रह गया है।
गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा- जब मैंने देखा की सारी की सारी पार्टी एक आदमी के सामने साष्टांग कर रही है तो मैंने सोचा कि अब यहाँ से चलना ही अच्छा है।
आगे के विचार के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी को दोबारा सत्ता में आने से रोकने के लिए मैं अभियान चलाऊँगी। मेहता ने लालकृष्ण आडवाणी और नरेंद्र मोदी पर पार्टी के लोकतंत्र को ध्वस्त करने का आरोप लगाया।
मेहता ने 2001 के घटनाक्रम को भी याद किया जब पार्टी ने केशुभाई पटेल को अचानक हटाकर नरेंद्र मोदी को मुख्यमंत्री बना दिया था। तब भाजपा विधायक दल में 117 विधायक थे, लेकिन केशुभाई को हटाकर नरेंद्र मोदी को मुख्यमंत्री बनाने से पहले किसी विधायक से नहीं पूछा गया।
उन्होंने कहा- इस रवैये से तब हम आहत हुए थे, लेकिन पार्टी के व्यापक हित में हमने खामोश रहना ही ठीक समझा।