वाराणसी। काशी में गंगा तट पर सजी कतारबद्ध नावें 'शाम ए बनारस' की पहचान मानी जाती हैं और शुक्रवार को जब दूसरे 'महिंद्रा कबीर उत्सव' का यहां शुभारंभ हुआ तो पूरा शहर मानों कबीरमय हो गया।
महिंद्रा एंड महिंद्रा कंपनी ने सांस्कृतिक क्षेत्र में काम करने वाली टीमवर्क आर्ट्स के साथ मिलकर इस समारोह का आयोजन किया है। इसका मकसद संगीत और काव्य के माध्यम से लोगों के बीच कबीर के विचारों का संचार करना और बनारस की गलियों में रमे कबीर से रुबरु कराना है।
उत्सव के उदृघाटन के मौके पर टीमवर्क आर्ट्स के प्रबंध निदेशक संजोय रॉय ने कहा, महिंद्रा कबीर उत्सव कबीर के दृष्टिकोण का परम चित्रण है। साथ ही वाराणसी शहर के गहन सांस्कृतिक जीवन की कहानी भी है। उत्सव का यह संस्करण आकर्षक कार्यक्रमों के माध्यम से शहर से गहरा जुड़ाव अनुभव कराएगा जो कि उपस्थित दर्शकों के लिए यादगार होगा।
आज शुभारंभ के बाद कल और परसों इस उत्सव में कबीर की काशी को जानने के कई कार्यक्रम शामिल हैं। इसमें संगीत और काव्य के अलावा स्थानीय इतिहासकारों द्वारा तैयार विशेष रूप से निर्देशित सांस्कृतिक एवं खानपान चहल—कदमी (हेरीटेज एंड फूड वॉक) का समावेश है।
यह दर्शकों को काशी के गली कूचे, रोज़मर्रा की ज़िन्दगी, लोकप्रिय स्मारक और शहर की अनोखी परम्पराओं और व्यंजनों का अनुभव कराएगा। कल आभा डाल्मिया वाराणसी की बुनाई और बुनकारों पर एक वार्ता पेश करेंगी। अंकित चड्ढा द्वारा परंपरागत दास्तांगोई गायन आयोजित किया जाएगा।
सुबह में दरभंगा घाट पर कुमार सारंग कबीर के दोहों को अपनी तानों से सजाएंगे। शाम में प्रसिद्ध छोटा नागपुर बगीचे में शुभा मुद्गल कबीर की रचनाओं से जुडी संगीतमय प्रस्तुति देंगी।
इसके अलावा दिन में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित होंगे, जिनमें महेशा राम, बिन्दु मालिनी और वेदांत, हरप्रीत सिंह, नाथूलाल सोलंकी, रश्मि अग्रवाल और विष्णु मिश्रा की प्रस्तुतियां एवं वार्ताएं होंगी। इस उत्सव का पटाक्षेप 12 नवंबर को असी घाट पर गायक कैलाश खेर की प्रस्तुति के साथ होगा। (भाषा)