Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

हरिद्वार कुंभ मेला 2021 : निर्मोही अखाड़े का परिचय

Advertiesment
हमें फॉलो करें हरिद्वार कुंभ मेला 2021 : निर्मोही अखाड़े का परिचय

अनिरुद्ध जोशी

मूलत: 13 अखाड़ें हैं। हाल ही में किन्नर अखाड़े को जूना अखाड़ा में शामिल कर लिया गया है। उक्त तेरह अखाड़ों के अंतर्गत कई उप-अखाड़े माने गए हैं। शैव पंथियों के 7, वैष्णव पंथियों के 3 और उदासिन पंथियों के 3 अखाड़े हैं। तेरह अखाड़ों में से जूना अखाड़ा सबसे बड़ा है। इसके अलावा अग्नि अखाड़ा, आह्वान अखाड़ा, निरंजनी अखाड़ा, आनंद अखाड़ा, महानिर्वाणी अखाड़ा एवं अटल अखाड़ा आदि सभी शैव से संबंधित है। वैष्णवों में वैरागी, उदासीन, रामादंन और निर्मल आदि अखाड़ा है।
 
 
निर्मोही अखाड़ा, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद द्वारा मान्यता प्राप्त 13 अखाड़ों में से एक है। इसका संबंध वैष्णव संप्रदाय से है और महंत भास्कर दास इसके अध्यक्ष हैं। इस अखाड़े से लगभग 12,000 से अधिक साधु-संत जुड़े हुए हैं।
 
 
बैरागी वैष्णव संप्रदाय के तीन अखाड़े :
8. श्री दिगम्बर अनी अखाड़ा- शामलाजी खाकचौक मंदिर, सांभर कांथा (गुजरात)।
9. श्री निर्वानी आनी अखाड़ा- हनुमान गादी, अयोध्या (उत्तर प्रदेश)।
10. श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़ा- धीर समीर मंदिर बंसीवट, वृंदावन, मथुरा (उत्तर प्रदेश)।
 
निर्मोही अखाड़े की स्थापना 1720 में रामानंदाचार्य ने की थी। यह अखाड़ा भगवान राम के प्रति समर्पित है। इसीलिए अयोध्या आंदोलन से इस अखाड़े का नाम जुड़ा रहता है। कुंभ मेले में इसकी भागिदारी बढ़चढ़कर कर रहती है।
 
इस अखाड़े ने 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में मस्जिद के नजदीक मंदिर बनाने का प्रयास किया, लेकिन अदालत ने उसे रोक दिया था। हिंदुओं की तरफ से रामलला ट्रस्ट और निर्मोही अखाड़ा ही कोर्ट में लड़ाई लड़ रहे थे।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

4 फरवरी 2021 : आपका जन्मदिन