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आपके आहार में फाइबर है?

रेशेदार आहार, सेहत का आधार

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हमें फॉलो करें आहार में फाइबर
वैसे तो आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में अनेक तरह की बीमारियाँ हमें अपनी चपेट में ले चुकी हैं लेकिन आमतौर पर जिस बीमारी से आज हर इंसान परेशान है, वह है पेट की बीमारी। आज ज्यादातर लोग पेट दर्द, एसिडिटी, जलन, खट्टी डकार जैसी पेट की बीमारियों से परेशान हैं। इस तरह की समस्याएँ रेशेदार भोजन न करने से होती हैं

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फलों को छिल्के समेत खाने से भी हमारे शरीर को फाइबर प्राप्त होता है जो हमारी पेट संबंधी बीमारियों को दूर करने में अहम भूमिका निभाता है। फाइबर युक्त या रेशेदार भोजन से खाना अच्छी तरह पच जाता है।

बार-बार मुँह में छाले होना, पेट खराब रहना, कब्ज की शिकायत है या फिर आंतों में जलन की शिकायत है तो जान लें कि आपके खाने में फाइबर शामिल नहीं है। फाइबर यानी रेशेदार भोज्य पदार्थ। इनसे न केवल शरीर को अतिरिक्त ऊर्जा मिलती है, बल्कि पेट भी साफ रहता है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बनी रहती है।

भारतीय संस्कृति और सभ्यता में तो पुरातन काल से रेशेदार खाद्य पदार्थों को भोजन में शामिल किया जाता रहा है। ऑस्ट्रेलिया में हुए नए शोध ने इसे और ज्यादा वजनदार बना दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक, 'रेशेदार खाद्य पदार्थ सिर्फ कब्ज ही नहीं, डाइबिटीज, अस्थमा, ह्रदय रोग और कैंसर को दूर भगाने में सहायक होते हैं। फाइबर हमारे शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र को सुचारू रखने में प्रमुख भूमिका निभाता है।'

फाइबर भोजन को इकठ्ठा करके बड़ी आँत तक ले जाता है। यहाँ मौजूद बैक्टीरिया इसे ऊर्जा में बदल देते हैं जिसे फैटी एसिड कहा जाता है। पेट खराब रहने के कारण होने वाली बीमारियों से दूर रखने का काम दरअसल हमारी आँत में मौजूद बैक्टीरिया ही करते हैं। इन्हें रेशेदार भोज्य पदार्थों के द्वारा ही कायम रखा जा सकता है।

शहरी रहन-सहन ने खाने की थाली से रेशेदार भोजन को दूर कर दिया है। पहले मोटा खाना खाने का चलन था। आटा भी मोटा पिसवाया जाता था। इसमें चना या दूसरी चीजें मिलाई जाती थीं। छानने की भी जरूरत नहीं होती थी। ग्रामीण इलाकों में तो नाश्ते में भूजा या चना-चबेना की परंपरा पुराने समय से थी जो आज भी कहीं-कहीं कायम है।

आज भी छिलके वाली दाल, छिलके समेत खाए जाने वाले फल और सब्जियाँ ही रेशेदार खाने यानी फाइबर के गिने-चुने स्रोत रह गए हैं।

समय के साथ सब कुछ बदल गया है। गेहूँ का आटा भी बारीक पिसवाया जाता है। इसमें रेशा नहीं रहता। बगैर रेशे वाला भोजन बड़ी आँत तक पूरी तरह से नहीं पहुँच पाता। इसकी वजह से वह पच भी नहीं पाता और पेट खराब रहता है। इसकी वजह से कई तरह की बीमारियाँ पनपने लगती हैं। अब आप ही तय कीजिए कि आपके भोजन में फाइबर है क्या?

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