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आप कितने स्वास्थ्य जागरूक हैं?

सभी के लिए जरूरी है स्वास्थ्य जागरूकता

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कहते हैं इलाज से अधिक महत्वपूर्ण है बीमारी को पैर पसारने न दिए जाएँ या उसकी रोकथाम के उपाय किए जाएँ। आजकल हर जागरूक नागरिक में विभिन्न प्रकार की बीमारियों के प्रति भय उत्पन्न हो गया है। विशेषकर स्वाइन फ्लू एवं डेंगू जैसी बीमारी के लिए। इसमें मीडिया की भी अहम भूमिका रहती है। मीडिया के बाद युवा वर्ग की जिम्मेदारी आती है। स्वाइन फ्लू व डेंगू एक संक्रामक बीमारी है। जहाँ स्वाइन फ्लू ड्रापलेट इंफेक्शन से मरीज के संपर्क में आने से फैलता है, वहीं डेंगू मादा एडीस इजीप्ट मच्छर के काटने से फैलता है।

लक्षण : अचानक तेज बुखार, शरीर के रेशेस, बदन दर्द, सिर दर्द, मांसपेशियों व जोड़ों में जबरदस्त दर्द प्रारंभिक लक्षण हैं। एक अन्य प्रकार के डेंगू, जिसको हेमरेजीक डेंगू कहा गया है, में रक्तस्राव के लक्षण व बेहोशी के लक्षण प्रतीत होते हैं। श्वास में रुकावट भी उत्पन्न होती है। ऐसे मरीज को तुरंत किसी अच्छे अस्पताल में, जहाँ आईसीयू सुविधा हो, ले जाना चाहिए, क्योंकि उसके प्लेटीलेट कोशिकाएँ (रक्त में एक प्रकार की कोशिकाएँ, जो खून के शरीर में बहाव को रोकती हैं) की कमी हो जाती है।

इन वायरस जनित बीमारियों का जलवायु परिवर्तन से गहन रिश्ता है, अतः मौसम अनुसार खुद-ब-खुद भी बीमारी का फैलना रुक जाता है। यह बीमारी ब्राजील जैसे देश में सर्वाधिक होती है, जहाँ तापमान पर्यावरण में अधिक रहता है। भारत में प्राकृतिक रूप से कई प्रकार के वायरस फैल नहीं पाते हैं।

बचाव - रोग ग्रसित मरीज का तुरंत उपचार शुरू करें व तेज बुखार की स्थिति में पेरासिटामाल की गोली दें। एस्प्रिन या डायक्लोफेनिक जैसी अन्य दर्द निवारक दवाई न लें। खुली हवा में मरीज को रहने दें व पर्याप्त मात्रा में भोजन-पानी दें, जिससे मरीज को कमजोरी न लगे। स्वाइन फ्लू एक तरह से हवा में फैलता है। अतः मरीज से 10 फुट की दूरी बनाए रखें तो फैलने का खतरा कम रहता है। जहाँ बीमारी अधिक मात्रा में हो, वहाँ फेस मास्क पहनना चाहिए।

घर के आसपास मच्छर नाशक दवाइयाँ छिड़काएँ।

एडिस मच्छर दिन में काटते हैं, अतः शरीर को पूर्ण रूप से ढँकें।

पानी के फव्वारों को हफ्ते में एक दिन सुखा दें।

घर के आसपास छत पर पानी एकत्रित न होने दें।

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घर का कचरा सुनिश्चित जगह पर डालें, जो कि ढँका हो।

पानी की टंकियों को कवर करके रखें व नियमित सफाई करें।

घर का कचरा आँगन के बाहर न फेंककर पूरतरनष्ट करें।

इस तरह हम थोड़ी-सी सावधानी से खुद को एवं समाज व शहर को बीमारी के प्रकोप से बचाएँगे। बीमारी के महामारी के रूप न लेने में जनसाधारण के रूप में हम समाज, शहर एवं जनता की सेवा करेंगे। स्वस्थ इंसान- स्वस्थ समाज- स्वस्थ देश, अतः हम बीमार न होकर व इसकी रोकथाम में मदद कर देश सेवा करेंगे।

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