Hanuman Chalisa

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

उत्तम स्वास्थ्य व शीत ऋतु

Advertiesment
हमें फॉलो करें उत्तम स्वास्थ्य
- शीत काल में शीत ऋतु की अवधि शुरू होने पर भी, जब तक अच्छी ठण्ड पड़ना शुरू न हो जाए, तब तक अधिक पौष्टिक एवं गरिष्ठ पदार्थ एवं आहार तथा वाजीकरण नुस्खे का सेवन शुरू नहीं करना चाहिए।

- शीत काल में देर रात जागना, देर रात में भोजन करना, भोजन करने के बाद देर तक जागना और शीतल वातावरण में रहना, इन कारणों से भोजन के पचने में विलम्ब होता है और अपच हो जाता है।

- शीत काल में शरीर को शीत से बिल्कुल अछूता न रखें, क्योंकि थोड़ा शीत का प्रभाव सहना, शरीर एवं स्वास्थ्य के लिए हितकारी होने से जरूरी होता है, लेकिन शीत लहर की तीखी हवा से बचाव करना भी जरूरी होता है।

  विवाहित स्त्री-पुरुषों को शीतकाल में बल-पुष्टिदायक पदार्थों के आहार का सेवन अवश्य करना चाहिए, क्योंकि शीतकाल में पाचन शक्ति प्रबल रहती है। विशेषकर पुरुषों को किसी वाजीकरण एवं पौष्टिक नुस्खे का सेवन पूरे शीतकाल तक करना चाहिए।      
- यूँ तो सदा शीतल जल से ही स्नान करना गुणकारी होता है पर शीतकाल में ठंडे जल से स्नान करना सहन न हो तो कुनकुने और ठंड छूट जल से ही स्नान करना चाहिए। भाप निकलते हुए ज्यादा गर्म पानी से स्नान नहीं करना चाहिए।

- जैसे व्यापार के सीजन में व्यापारी खूब व्यवसाय कर पर्याप्त आय अर्जित कर वर्ष के शेष समय में भी निर्वाह कर लेता है, उसी प्रकार शीतकल, स्वास्थ्य और बल अर्जित करने का सीजन होता है अतः इस ऋतु में स्वास्थ्य व बल अर्जित करने में भूल-चूक नहीं करना चाहिए।

- विवाहित स्त्री-पुरुषों को शीतकाल में बल-पुष्टिदायक पदार्थों के आहार का सेवन अवश्य करना चाहिए, क्योंकि शीतकाल में पाचन शक्ति प्रबल रहती है। विशेषकर पुरुषों को किसी वाजीकरण एवं पौष्टिक नुस्खे का सेवन पूरे शीतकाल तक करना चाहिए, ताकि वर्षभर तक उनका शरीर सशक्त और समर्थ बना रह सके।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi