आम धारणा है कि सूरज की रोशनी से त्वचा की रंगत पर बुरा असर पड़ता है लेकिन ऑस्ट्रेलिया स्थित मेनजीज संस्थान के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि सूरज की रोशनी में लगातार रहने से शरीर में विटामिन डी का विकास होता है और स्किन में निखार आता है। विटामिन डी का इस प्रक्रिया से विकसित होने से अलग-अलग स्कलेरॉसिस (एमएस) से बचने में मदद मिलती है।
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हॉबर्ट में हुए नेशनल साइंटिफिक कॉन्फ्रेंस फॉर मेडिकल रिसर्च में पेश रिपोर्ट के हवाले से वैज्ञानिकों ने बताया कि विषुवत रेखा से दूर के इलाकों में स्नायु संबंधी बीमारियाँ ज्यादा होती हैं। शोध के दौरान वैज्ञानिकों ने पाया कि तस्मानिया के लोगों में यह बीमारी क्वींसलैंड के निवासियों के मुकाबले सात गुना ज्यादा पाई जाती है।
शोधकर्ताओं ने बताया कि ऑस्ट्रेलिया में तस्मानिया ऐसी जगह है जहाँ एमएस नामक बीमारी सबसे ज्यादा पाई जाती है। उन्होंने बताया कि एमएस मौसम के बदलावों पर भी निर्भर करता है। पतझड़ के मौसम में विटामिन-डी का स्तर बढ़ा होता है वहीं बसंत के मौसम में विटामिन डी का स्तर बहुत कम होता है।