क्या बारिश के मौसम में गुजर रही सुहानी शाम आपका मूड खराब कर देती है? क्या आप दिवाली और होली जैसे त्योहारों पर बिना किसी वजह निराशा से घिरे रहते हैं? जब आपके दोस्त बहुत ज्यादा खुश होते हैं तब आप दुःखी होते हैं? कोई बात नहीं, ज्यादा परेशान न हों। हालांकि यह थोड़ा हैरान और काफी परेशान करने वाली बात है। जब आपको खुश होना चाहिए, दूसरों की तरह चहकना चाहिए उस वक्त आप अपने अकेलेपन का शिकार होते हैं।
मौज-मजा करने के बजाए अकेले रहना ज्यादा पसंद करते हैं। त्योहार, छुट्टियां और तो और बदलता मौसम भी कई बार मूड खराब करने का कारण होता है। अपने ऐसे रुख को लेकर कई बार हम खुद हैरान रहते हैं और मूड ऑफ होने की वजह जान पाने में असमर्थ होते हैं। बहरहाल, परेशान होने के बजाए इन स्थितियों को पार करने की कोशिश करें।
जब मूड बदले मौसम के साथ
मौसम बहुत खूबसूरत है, बावजूद इसके आपका मूड डाउन है। इसका मतलब है कि आप 'सेड' नामक समस्या से ग्रस्त है। 'सैड' यानी 'सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर।' खासकर मानसून व सर्दियों के दिनों में अक्सर सैडग्रस्त लोग ज्यादा देखने को मिलते हैं। हालांकि कुछ लोग गर्मियों में भी इसका शिकार होते हैं, मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि बदलते मौसम को कई बार हममें से कई लोग आसानी से स्वीकार नहीं कर पाते जिसका नतीजा 'सैड' के रूप में सामने आता है। 'सैड' के शिकार लोगों को निद्रा की कमी, कमजोर इम्यून सिस्टम आदि का सामना करना पड़ता है।
इससे जूझने का तरीका
मौसम हमारे अनुकूल नहीं बदलता बल्कि हमें मौसम के अनुकूल बदलना होता है। इससे लड़ने का कोई उपाय नहीं है। सो, बेहतर है हम जल्द से जल्द परिस्थितियों को स्वीकार कर लें। इस दौरान जब कुछ भी अच्छा न लग रहा हो, तो अपने मन को किसी न किसी काम में व्यस्त रखें। खासकर अच्छे कामों में। मसलन पार्टी करें, आउटिंग पर जाएं। अगर इन सबके बावजूद मूड अच्छा न हो रहा तो अपने कमरे की सजावट बदल दें। चमक भरे रंग से कमरों को रंगें। इससे मूड में परिवर्तन होता है। बगीचे में लेटें यकीनन यह तरीका आपका मूड बदलेगा।
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जन्मदिन पर क्यों होते हैं उदास
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जन्मदिन तो सरप्राइज और पार्टी का खूबसूरत दिन होता है। इस दिन भी अगर किसी का मूड खराब है, मन निराश है तो निश्चित रूप से इसके पीछे वाजिब वजह होनी चाहिए। लेकिन जरूरी नहीं है निराश होने के पीछे कोई तथ्य ही छिपा हो। 25 वर्षीय अवंतिका कहती हैं, 'मुझे मेरे जन्मदिन पर बहुत खराब लगा।
हालांकि मेरे सारे फ्रेंड्स ने मुझे जन्मदिन की मुबारकबाद दी थी, लेकिन कहीं न कहीं वे सभी काम में व्यस्त होने के कारण मुझसे मिलने नहीं आ सके। पूरा दिन मुझे अकेलेपन से जूझना पड़ा। पूरा दिन ऑफिस में काम करते-करते गुजर गया।'
मीताली इस वजह से दुखी रही कि दिन भर किसी सरप्राइज की आशा में थी और सबको गिफ्ट देने वाले पति महोदय चाह कर भी उसके लिए कुछ खास नहीं कर पाए। सब की विशेज और गिफ्ट भी उसके चेहरे पर चमक नहीं ला सके क्योंकि पति से कुछ विशेष उम्मीद लगा बैठी थी।
इससे जूझने का तरीका
इसकी वजह हम खुद हैं। दरअसल हम अपने दोस्तों और अपने-अपनों से कहीं ज्यादा की उम्मीद करने लगते हैं। हम चाहते हैं कि जो हम सोच रहे हैं, वैसा ही हो, जबकि यह मुमकिन नहीं है। सबकी निजी समस्याएं होती हैं। इसलिए उनसे अपेक्षाएं नहीं रखनी चाहिए, नहीं तो नतीजा सुखद नहीं होता। जानकारों का कहना है कि सबको हमेशा सकारात्मक सोच के साथ ही नहीं चलना चाहिए बल्कि उसके नकारात्मक पहलुओं पर भी ध्यान देना जरूरी है। अच्छे की आशा करें लेकिन बुरे के लिए भी तैयार रहें। पति या दोस्त अगर सबके लिए उपहार लाते हैं और आपके लिए नहीं तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह आपको प्यार नहीं करते। इसका यह मतलब हो सकता है कि अभी आपको उनके इतने करीब आने में वक्त लगेगा।
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घर में शादी और मेरा मन उदास
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घर में शादी का माहौल है, आसपास खुशियां ही खुशियां बिखरी हुई हैं। बावजूद इसके आपका मन अकेले रहने को करता है। मनोचिकित्सक कहते हैं कि दरअसल ऐसा कई कारणों से होता है। घर में दुल्हन को सब देखने आते हैं, उसकी खूबसूरती की तारीफ करते हैं। लेकिन इस सब में छोटी बहन हमेशा नजरअंदाज कर दी जाती है। लेकिन ऐसे मौके पर छोटी बहन को ऐसा नहीं महसूस करना चाहिए बल्कि अपनी बहन की खूबसूरती की तारीफ पर उसे गर्व महसूस करना चाहिए।
इससे जूझने का तरीका
खुशी तलाशी नहीं जाती, महसूस की जाती है। अपनी बहन की शादी होते देख उसके विदा होने का गम खुशी का स्वरूप होता है लेकिन ऐसे में निराशावादी बनना या उदासीनता चेहरे पर रखना कोई समझदारी का परिचायक नहीं है। इसलिए बेहतर है कि शादी में खुद को किसी न किसी काम में उलझाए रखें। अच्छा होगा अगर महत्वपूर्ण तमाम कामों को अपने जिम्मे ले लें।
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नए साल की शुरुआत और क्यों हो तुम निराश
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नए साल की शुरुआत पर लाजिमी है कि घर पर, दोस्तों के साथ जमकर पार्टी हो। उनके साथ तमाम शरारतों का हिस्सा बनें और अपने व्यवहार से सबका दिल जीत लें। ऐसे में चेहरा उदासी भरा हो तो काफी अटपटा लगता है। लेकिन यह सच है कि कई लोग ऐसे खुशी के अवसर पर खुद को तनहा महसूस करते हैं। भीड़ में भी अकेलेपन का एहसास तनावग्रस्त मन का नतीजा है। ऐसी परेशानियां छोटी-छोटी बातों की वजह से भी हो सकती हैं मसलन ड्रेस के चयन को लेकर अच्छा दिखने की कशमकश में, किसी खास रिश्तेदार की तीखी टिप्पणी आपको बेचैन कर देती है आदि।
इससे जूझने का तरीका
इसके लिए मूल मंत्र है कि आखिरी वक्त पर कोई प्लानिंग न करें। हमारी मनःस्थिति ऐसी बनी हुई है कि अक्सर लास्ट मिनट पर तैयारी करते हैं, लास्ट मिनट पर किसी को आमंत्रित करते हैं, लास्ट मिनट पर अपनी प्लानिंग दूसरों को बताते हैं, किसी के साथ आउटिंग पर जाना हो तो उसे लास्ट मिनट पर इत्तिला करते हैं।
अपनी इस सोच को बदलें। अगर आप चाहते हैं कि दूसरे आपके हिसाब से चलें तो यह संभव नहीं है। मगर हां, अपने पार्टनर या दोस्तों के साथ आपकी समझ होगी तो इतने खूबसूरत दिन मुंह लटका नहीं रहेगा।
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आपके मूड के खराब होने की वजह कहीं न कहीं आप खुद होते हैं और कभी-कभी निगेटिव सोच के लोग। पहले अपने व्यवहार को बदलने की कोशिश करें और दूसरों की नकारात्मक सोच का खुद पर असर ना पड़ने दें। जो लोग अक्सर आपको खुश नहीं देखना चाहते वे आपके सामने तो खुश रहेंगे लेकिन धीरे से कुछ ऐसा कह जाएंगे जो चूभता हुआ होगा। आप अपने पर असर होने देंगे तो उनके हौंसले बुलंद होंगे। आपकी खुशी ही आपके इर्ष्यालु रिश्तेदारों का जवाब है। याद रखिए स्वयं पर हमेशा स्वयं का राज चलना चाहिए दूसरों का नहीं। अपने आप पर अपना नियंत्रण ही हर समस्या का समाधान है।