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विकार की सूचना देते हैं रोग

सेहत डेस्क

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शरीर में सारे रोगों का कारण एक ही है- शरीर के अंदर मौजूद विकार। कई बार तो बच्चा माँ के पेट से ही विकार लेकर उत्पन्न होता है। गर्भावस्था में अगर माँ का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता, खान-पान में संयम नहीं रहता, तब माँ के द्वारा बच्चे में भी विकार उत्पन्न हो जाता है।

मनुष्य शरीर की प्रकृति हमेशा शरीर के अंदर की गंदगी को बाहर निकालने में तत्पर रहती है। गंदगी दूर करने (निकालने) के चार प्रमुख रास्ते हैं- 1. फेफड़े से सारे शरीर की एक खास तरह की गंदगी वायु के रूप में (श्वास-प्रश्वास) शरीर के बाहर आना। 2. त्वचा से पसीने के रूप में गंदगी का बाहर निकलना। 3. पाखाने के रूप में। 4. पेशाब के रूप में गंदगी का बाहर फेंका जाना।

इन साधारण तरीकों से शरीर के अंदर का विकार नहीं निकल पाता तो असाधारण ढंग काम में लाए जाते हैं। यही असाधारण ढंग रोग कहलाते हैं, इसलिए रोग को शत्रु न मानकर मित्र समझना चाहिए।

रोग हमें सूचना देता है कि आपके शरीर में विकार अधिक पैदा हो गया है, उसे आप बाहर निकालें, दबाएँ नहीं। विकार ज्वर के रूप में, दस्त, उल्टी, सर्दी, जुकाम, फोड़ा-फुंसी जैसे तीव्र रोग के रूप में बाहर निकलते हैं।

ये सभी तीव्र रोग गंदगी को बाहर निकालने की शरीर की सफल चेष्टाएँ हैं। अगर इसी समय हम रोग को शत्रु मानकर शरीर में दवाओं का प्रयोग कर दबा देते हैं, तब फिर हमें जीर्ण रोग के रूप में सजा भुगतनी पड़ती है, जैसे हृदय रोग, गठिया, बवासीर, माइग्रेन, नजला, दमा, डायबिटीज एवं महिलाओं में स्त्री रोग आदि।

विकार पैदा होने के कार

1. साँस के साथ कई छोटे-छोटे कीड़े और पदार्थों का शरीर में प्रवेश कर जाना, श्वास-प्रश्वास की क्रिया का बराबर न हो पाना, शुद्ध हवा का सेवन न कर पाना आदि।

2. शरीर से पसीना न निकल पाना।

3. खाए या पिए हुए पदार्थों का पचने के बाद पेशाब और पाखाने के रूप में पूर्णतया बाहर न निकल पाना।

4. शरीर के अंदर टूटे हुए रेशों का बाहर न निकलना। ये कई प्रकार के विकार और जहर पैदा करते हैं।

ये सभी विकार और जहर यदि शरीर के बाहर नहीं निकलते हैं तो इसी के कारण हमारा खून भी विकारयुक्त हो जाता है और यही खून शरीर के सभी हिस्सों में पहुँचकर उन्हें उनकी खुराक दे आता है। अतः शरीर के सभी अंगों में खून के साथ विकार भी पहुंच जाता है, जिससे खून गाढ़ा और सरेश हो जाता है।

विकार बाहर कैसे निकालें

1. शुद्ध हवा का सेवन कर श्वास-प्रश्वास की क्रिया से अधिक से अधिक कार्बन-डायऑक्साइड बाहर निकालें।

2. मेहनत, व्यायाम टहलना, कसरत इतनी हो कि त्वचा के रोमकूप खुलें और पसीना बह जाए।

3. पानी अधिक पिएँ, जिससे पेशाब बराबर और साफ आता रहे।

4. भोजन में रेशेदार पदार्थ अधिक लें, जिससे पेट सतत साफ रहे, पेट साफ है तो समझें व्यक्ति निरोग है। शरीर में विकार नहीं रहेगा तो आप स्वस्थ रहेंगे। प्रकृति का नियम है पैर गरम, पेट नरम और सिर ठंडा।

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