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समय की जरूरत : मार्निंग वॉक

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हमें फॉलो करें मार्निंग वॉक आशादीप हॉस्पिटल इंदौर
- डॉ. आभा पंडित
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पूरे दिन फील्ड में कमरतोड़ मेहनत करने के बाद भी वह एकदम तरोताजा रहता था। 40 का होने के बावजूद वह एक नवयुवक से कम नहीं था। एक दिन उसके कार्यालय में होने वाले नियमित चिकित्सा परीक्षण के दौरान यह पाया गया कि उसका ब्लड प्रेशर तथा कोलेस्ट्रोल आदि बढ़ा हुआ है।

डॉक्टरों ने उसे अनेक दवाइयाँ लिखने के साथ ढेर सारी हिदायतें भी दे डालीं जिनमें खानपान में अनेक परहेज के साथ-साथ सुबह की सैर भी शामिल थी। इस अप्रत्याशित घटना से वह अत्यंत भयभीत हो गया और सहमा-सहमा सा रहने लगा। पर दो-तीन महीनों के उपचार के बाद जब एक फिर उसका ब्लड प्रेशर तथा कोलेस्ट्रोल परीक्षण किया गया, तो वे सामान्य थे।

रिपोर्ट चिकित्सक को दिखाने पर उन्होंने दवाइयों को बंद करने के लिए कहा, परंतु यह हिदायत जरूर दी कि वह आवश्यक रूप से कम से कम 40 मिनट का मार्निंग वॉक रोज करे। पहले के समय में प्रातःकालीन भ्रमण हमारा शौक हुआ करता था, परंतु आज यह सबसे जरूरी चीज हो गई है। बढ़ते ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर, हृदय रोग, डिप्रेशन, अनिद्रा तथा अन्य अनेक रोगों के उपचार में तथा बचाव दोनों में प्रातः भ्रमण अत्यंत फायदेमंद हो सकता है। प्रायः चिकित्सक उनके पास आने वाले दस में से सात मरीजों को प्रातःकाल कम से क म 40 मिनट तक तेज चाल में चलने की सलाह देते हैं।

स्वास्थ्य लाभ के साथ-साथ मार्निंग वॉक से अनेक फायदे हैं। इससे एक ओर जहाँ हमारा समाजीकरण होता है, वहीं स्वास्थ्य लाभ भी प्राप्त होता है। पैदल चलने से श्वास गति, हृदय गति तथा रक्तचाप पर बहुत अच्छा प्रभाव पड़ता है। जठराग्नि तेज होती है, पाचन प्रणाली में उत्तेजना आती है तथा भूख भी बढ़ती है।
  बढ़ते ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर, हृदय रोग, डिप्रेशन, अनिद्रा तथा अन्य अनेक रोगों के उपचार में प्रातः भ्रमण अत्यंत फायदेमंद हो सकता है। प्रायः चिकित्सक उनके पास आने वाले मरीजों को प्रातःकाल कम से कम 40 मिनट तक तेज चाल में चलने की सलाह देते हैं।      


मार्निंग वॉक से पूरी तरह से फायदा मिले, इस हेतु जरूरी है कि टहलने के दौरान हमारा शरीर बिलकुल सीधा तथा तना हुआ हो। टहलते समय मुँह बिलकुल बंद हो तथा साँस पूरी तरह नाक से ही लें। मार्निंग वॉक एक प्राकृतिक प्रशांतक है। इससे मस्तिष्क की विभिन्न रचनाएँ तनावरहित होकर शिथिल हो जाती हैं तथा मन-मस्तिष्क को सुकून प्राप्त होता है, जिससे हमारा स्वभाव भी प्रसन्न हो जाता है।

विशेषज्ञों के अनुसार मार्निंग वॉक से मस्तिष्क में एन्डोर्फिन हार्मोन स्रावित होता है जिससे हमारे स्वभाव में परिवर्तन आता है तथा सकारात्मक भावनाएँ पैदा होती हैं। यदि पति-पत्नी साथ-साथ टहलते हैं तो उनमें अंतरंगता बढ़ती है तथा उनमें मैं के स्थान पर हम के भाव पैदा होते हैं। साथ ही उनमें परस्पर सहारा देने की भावना और परस्पर विश्वास के भावों में भी स्थायित्व आने लगता है।

हम मार्निंग वॉक के लिए बाहर निकलते हैं तो घर के वातावरण, जिम्मेदारियों तथा तनाव पैदा करने वाले कारकों से चाहे अस्थायी रूप से ही सही परंतु कुछ देर के लिए मुक्ति जरूर पा जाते हैं जिससे अवसाद हम पर हावी नहीं हो पाता। दूसरी ओर यदि हम समूह में टहलते हैं तो आपस में हँसी-मजाक होता है जिससे हमारा मनोदैहिक स्वास्थ्य सुधरता है।

अनुसंधानों से ज्ञात हुआ है कि हँसने से रक्त संचार तेज होता है जिससे दिमागी समस्याओं से पीड़ित रोगियों को लाभ होता है क्योंकि रक्त संचार में वृद्धि होने से मस्तिष्क को अधिक ऑक्सीजन तथा ग्लूकोज प्राप्त होता है। टहलने से मानसिक प्रसन्नता प्राप्त होती है। हम में सकारात्मक भावनाओं का संचार होता है। भावनाओं का हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता से गहरा संबंध होता है।

विशेषज्ञों की राय में आशावादी व्यक्ति तनाव का अनुभव कम करते हैं। इससे रोग प्रतिरोधी क्षमता उत्तम बनी रहती है। ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रोल, मोटापा, आदि बढ़ा हुआ हो तो चिकित्सक की सलाह लेने के बाद ही वॉक पर जाएँ।

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