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सर्दियों हेतु व्यायाम

-ए.के. रावल

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यूँ तो यौगिक क्रियाएँ केवल सर्दी के लिए आवश्यक नहीं हैं, अपितु ये हर ऋतु के लिए जरूरी हैं।सर्दियों में ठंड के कारण (ऑर्थराइटिज) जोड़ों में सूजन, गठिया, सायटिका, दमा, सिर दर्द, माइग्रेन, गले की बीमारी, सर्दी, खाँसी, एलर्जी, घुटना दर्द, कमर दर्द, पीठ दर्द अक्सर होता है।

सर्दी की इन बीमारियों के लिए डॉक्टर व योग विशेषज्ञ की सलाह पर निम्नलिखित यौगिक क्रियाएँ लाभदायक हैं-

* शरीर संचालन हेतु पैर की उँगलियाँ, एड़ी, घुटना, जाँघ, पेट, हाथों की उँगलियाँ, कलाई, कोहनी, कंधा, गर्दन व आँख प्रत्येक अंग का 5 से 10 बार संचालन सुबह-शाम दोनों समय कर सकते हैं।

* सायको सोमेटिक, न्यूरोसोमेटिक, दमा में भी ये यौगिक क्रियाएँ लाभदायक हैं। इसके साथ-साथ शशांक आसन, योगमुद्रा, पवनमुक्तासन, भुजंगासन, स्ट्रेच मकरासन (क्रोकोडायल)-2 लाभदायक हैं।

* कुछ शारीरिक व मानसिक रोग तनाव व चिंता से भी होते हैं। इन्हें दूर करने के लिए यौगिक क्रियाएँ उत्तम हैं।

* स्वस्थ लोगों के लिए भी यौगिक क्रियाएँ लाभदायक हैं। स्वस्थ लोग स्वस्थ रहें, इसलिए योग विशेषज्ञ की सलाह से ये आसन करें- ताड़ासन, त्रिकोणासन, कमर को खड़े होकर आगे-पीछे व दाएँ-बाएँ झुकाने की क्रियाएँ 5 बार करें।

* सीधा लेटकर अर्द्धहलासन, साइकलिंग, पवनमुक्तासन, सीधा नौकासन।

* बैठकर पश्चिमोत्तासन, शशांक आसन व योगमुद्रा करना चाहिए।

* उल्टा लेटकर भुजंगासन, सर्पासन, शलभासन, धनुरासन, नौकासन, रोलिंग नौकासन करना चाहिए।

* प्राणायाम सभी के लिए लाभदायक है। इसमें योगेन्द्र प्राणायाम, नाड़ीशोधन प्राणायाम, भ्रमिका प्राणायाम, उज्जयी प्राणायाम अधिक लाभदायक रहते हैं।

* ध्यान अपनी शक्ति के अनुसार कर सकते हैं। लंबी गहरी साँस लें व छोड़ें।

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* ध्यान, प्राणायाम, शवासन, योगनिद्रा के द्वारा सुषुप्त शक्तियों को जाग्रत कर सकते हैं। इससे काम करने की शक्ति बढ़ सकती है, मन एकाग्र होता है, बुद्धि तीक्ष्ण होती है। इन क्रियाओं से शारीरिक व मानसिक रोगों से लड़ने की प्रतिरोधात्मक शक्ति बढ़ जाती है।

* ठंड के दिनों में, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग के रोगियों को रात में अधिक कष्ट होता है। उनके लिए भी डॉक्टर की सलाह व योग विशेषज्ञ की सलाह से लाभ होता है। प्रत्येक व्यक्ति को प्रातः-शाम घूमना चाहिए। दिन में एक बार दिल खोलकर हँसना चाहिए। सोने के 2 घंटे पूर्व सुपाच्य भोजन करना चाहिए।

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