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हर सुबह होता है एड़ी में दर्द

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डॉ. प्रदीप श्रीवास्तव
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आधुनिक जीवन शैली ने कई ऐसे रोगों को जन्म दिया है जो पहले नहीं होते थे। उनमें से एक है एड़ी का दर्द जो अक्सर महिलाओं को सुबह बिस्तर से उठते ही परेशान करता है। इसकी वजह है सख्त फर्श और सख्त तले के जूते, चप्पलें।

श्रीमती विजया (42) को रोज सुबह बिस्तर से उठते ही बाईं एड़ी में तेज दर्द होता था। दर्द इतना तीव्र होता था कि पैर जमीन पर रखते ही चीख निकल जाती थी। हर बार वे धम्म से पुनः बिस्तर पर बैठ जाती थीं। थोड़ी देर बैठी रहतीं तब कहीं जाकर वे पैर फर्श पर रख पाती थीं। कुछ देर बाद सब कुछ सामान्य हो जाता था।

श्रीमती विजया ने हल्दी की सिकाई से लेकर आटे की पुल्टिस बाँधने तक कई उपाय किए लेकिन आराम नहीं मिला। बाद में अस्थिरोग विशेषज्ञ ने उनकी समस्या का समाधान किया।

आज 30 से 45 वर्ष की आयुवर्ग के कई लोग हैं जो एड़ी के दर्द का इलाज कराने के लिए विशेषज्ञों के पास जा रहे हैं। इनमें महिलाओं की संख्या अधिक है। अधिकांश मरीज एक या दोनों पैरों की एड़ियों में दर्द की शिकायत लिए आते हैं। दर्द भी ऐसा जो थोड़ी देर बैठने अथवा चलने के बाद गायब हो जाता है, लेकिन कुछ देर तक कहीं बैठने अथवा आराम कर लेने के बाद पुनः दर्द शुरू हो जाता है। शुरू में तो थोड़ा चलने पर आराम मिल जाता है लेकिन समय रहते इलाज नहीं कराएँ तो स्थिति गंभीर भी हो जाती है।

कारण
खड़े रहने, चलने में, दौड़ने के दौरान शरीर का वजन पैरों और एड़ी के माध्यम से जमीन में स्थानांतरित होता है। पंजों और एड़ी की त्वचा बहुत ही विशेष तरह की होती है। एड़ी को घेरे हुए ऊतकों में, लिगामेंट्रस में व टेंडन्स में सूजन आ जाने, अथवा हड्डियों में कांटे की तरह उभार आ जाने से ऊतकों में यह निरंतर तेज काँटे की तरह चुभता है। इसके अलावा रह-रहकर घर्षण करने से भी दर्द पैदा हो जाता है।

पहले के जमाने में घर के फर्श मिट्टी के होते थे। उन पर गोबर से लिपाई होती थी। तब उन पर नंगे पैर चलने में भी कोई तकलीफ नहीं होती थी। अब सख्त फर्श का जमाना है। इससे पंजे और एड़ी की हड्डियों तथा माँसपेशियों पर विपरीत असर पड़ता है। इसी तरह आधुनिक जूते एवं चप्पलों के तल्ले भी टिकाऊ तथा वजन में हल्के पॉलीयूरेथीन से बनने लगे हैं।

ये तल्ले कुछ समय बाद सख्त होकर पंजों तथा एड़ी के लिए असहज हो जाते हैं। इसके अलावा एक और वर्ग है जिसकी एड़ी अथवा पंजे में इस तरह का दर्द उठ सकता है, वह वर्ग है खिलाड़ियों का। खिलाड़ियों को खेल में दौड़कूद के दौरान एड़ी में चोट लगने की अधिक आशंका रहती है।

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इलाज
एड़ी के दर्द का इलाज तीन तरह से किया जा सकता है। पहला है दर्द निवारक और सूजन उतारने वाली गोलियाँ । दूसरा है दर्द के स्थान पर स्टेरायड का इंजेक्शन। तीसरा है जूतों में ऐसा बदलाव जिससे दर्द वाली जगह पर कम से कम दबाव पड़े और घर्षण भी न्यूनतम रहे। जूतों में हील कप, स्कूप्ड हील पैड्स, साफ्ट कुशंड स्पंजी शू सोल अंदर से लगाए जाते हैं। बाजार में सिलिकॉन के बने शू इंसर्ट भी मिलते हैं। किसी मरीज की किन्हीं विशेष परिस्थितियों में सर्जरी भी करना पड़ती है।

क्या करें
पैरों के तले को क्षतिग्रस्त होने से बचाने के लिए जो कर सकते हैं वो करें। फर्श पर नंगे पैर चलने से बचें। घर में हमेशा नर्म स्पंजी चप्पलें पहनें। खेलकूद के वक्त हमेशा स्पोर्ट्स शूज पहनें।

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