Hanuman Chalisa

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

दूध भी हो सकता है जहरीला

यूँ रहें स्वस्थ

Advertiesment
हमें फॉलो करें यूँ रहें स्वस्थ
डॉ. सुधीर खेतावत
ND
राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान के पशु शरीर क्रिया विज्ञान विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिकों के अनुसार पशुओं से अधिक दूध लेने की प्रक्रिया में ऑक्सीटोन हारमोन का प्रयोग पशु तथा मानव दोनों के लिए खतरनाक हो सकता है, लेकिन इस विषय में परिपक्व जानकारी के अभाव में भी अनुसंधान जारी हैं। लगातार इंजेक्शन देने से पशु ऑक्सीटोसिन का आदी हो जाता है और दूध में सोडियम व नमक की मात्रा भी बढ़ जाती है।

ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन पशुओं के लिए तो जानलेवा है ही, यह इंजेक्शन लगाने के बाद पशुओं से लिया जाने वाला दूध इंसानों के लिए भी घातक साबित हो रहा है। पशुपालक अधिक आय की लालच में स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।

दरअसल जिन पशुओं को ऑक्सीटोसिन दिया जाता है, उनके दूध के उपयोग से महिलाओं में बार-बार गर्भपात और स्तन कैंसर होना, लड़कियों का उम्र से पहले ही वयस्क होना, बच्चों की आँखें कमजोर होना और फेफड़ों व मस्तिष्क पर प्रतिकूल प्रभाव जैसी समस्याएँ आती हैं।

भारत सरकार की अधिसूचना जीएसआर 282 (ई) 16 जुलाई 1996 के तहत यह दवा एच श्रेणी में आती है और इसकी खुली बिक्री संभव नहीं है। इसके बावजूद पान की दुकान से लेकर किराने की दुकानों तक हर कहीं ऑक्सीटोसिन के एम्प्यूल खुलेआम बिक रहे हैं।

webdunia
ND
ऑक्सीटोसिन के उपयोग से किसी पशु में दूध की मात्रा 20 प्रतिशत तक बढ़ जाती है, लेकिन उसमें कैल्शियम तथा वसा की कमी हो जाती है, हड्डियों में विकार पैदा हो जाते हैं। इसके उपयोग से साइनस जैसे कोमल टिश्यू में संक्रमण की प्रबल संभावनाएँ पैदा हो जाती हैं।

राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (एनडीआरआई) के ताजा अध्ययन के अनुसार ऑक्सीटोसिन के इस्तेमाल से पशुओं के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। इसके अलावा इससे दूध की गुणवत्ता बाधित होती है, जो पशु एवं मनुष्य के लिए हानिकारक है।

संस्थान के पशु शरीर क्रिया विज्ञान विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिकों के अनुसार पशुओं से अधिक दूध लेने की प्रक्रिया में ऑक्सीटोसिन हारमोन का प्रयोग पशु तथा मानव दोनों के लिए खतरनाक हो सकता है, लेकिन इस विषय में परिपक्व जानकारी के अभाव में भी अनुसंधान जारी है। लगातार इंजेक्शन देने से पशु ऑक्सीटोसिन का आदी हो जाता है और दूध में सोडियम व नमक की मात्रा भी बढ़ जाती है।

दूध के संघटन में परिवर्तन आ रहा है। बाजार में घटिया स्तर के सस्ते ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन उपलब्ध हैं। इस इंजेक्शन का सस्ता होना व इसे लगाने का आसान तरीका होना इस हारमोन के अंधाधुँध उपयोग का कारण है। चिकित्सकों का कहना है कि सामान्य और स्वच्छ दूध की प्राप्ति के लिए पशु को बिना तनाव दिए प्राकृतिक विधि से ही दूध दोहना चाहिए।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi