बदलती लाइफ स्टाइल के दौर में महिलाओं पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है। इससे भी अधिक तब जब सही समय पर बच्चा पैदा नहीं करना। जी हां, मान्यता है कि बच्चा देरी से पैदा करने पर महिलाओं को बहुत सारे कॉम्प्लिकेशंस आते हैं। साथ ही इनफर्टिलिटी की समस्या भी बढ़ जाती है। लेकिन लाइफस्टाइल बदल रही है तो तकनीकी के माध्यम से नई राह भी खुल रही है। जिससे महिलाओं के लिए गर्भधारण करना आसान होगा।
जी हां, संसद के शीतकालीन सत्र में लोकसभा में असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (ART) रेगुलेशन बिल 2020 को पास किया है। इस बिल को लाने का उद्देश्य है इस तकनीक के माध्यम से हो रहे बच्चे और प्रक्रिया में शामिल महिलाओं को शोषण से बचाना। आइए जानते हैं असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी ART से जुड़ी 5 प्रमुख बातें -
1. जीवन में एक बार ही एग डोनेट कर सकती है -
इस बिल के माध्यम से बहुत कुछ राह आसान हो जाएगी। सरोगेट मदर और जन्मे बच्चे को मिले उसके अधिकारों की राह आसान हो जाएगी। इस नए बिल से यह तय हो कौन महिला एग डोनेट कर सकती है और कितने एग डोनेट कर सकते हैं। इसके साथ ही एग डोनर्स को बीमा सुविधा भी उपलब्ध कराई जाएगी। बता दें कि जो भी महिला एग डोनेट करेगी वह जीवन में सिर्फ एक बार ही डोनेट कर सकती हैं। साथ ही वह महिला शादी-शुदा होना चाहिए। महिला का शादीशुदा होना जरूरी है साथ ही कम से कम 3 साल की उम्र का एक बच्चा। ऐसा ही महिला एग डोनेट कर सकती है।
2. उम्र की गई है तय -
विधेयक के अनुसार art सुविधा का लाभ सिर्फ तय उम्र वाले लोग ही ले सकते हैं। जी हां, महिलाओं में कानून उम्र 18 वर्ष से 50 साल की और पुरुषों में कानून उम्र 21 वर्ष से 55 साल तक की तय की गई है। वहीं जो गर्भधारण नहीं कर पा रही है वे IVF की मदद से 45 साल की उम्र तक मां बन सकती है।
3.ART का लाभ कौन ले सकता है -
दरअसल, ART, सरोगेसी से थोड़ा अलग होता है। एआरटी में दंपति खुद होते हैं इसमें कोई तीसरे व्यक्ति के शामिल होने की जरूरत नहीं होती है। लेकिन सरोगेसी की मंजूरी सिर्फ भारतीय शादीशुदा लोगों को ही होती है। वहीं एआरटी में शादीशुदा जोड़े, लिव-इन पार्टनर, सिंगल वुमन और विदेशी भी है। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक देश में एआरटी से जुड़े करीब 40 हजार क्लीनिक है।
4. बोर्ड का होगा गठन -
इस विधेयक में नेशनल रजिस्टर एंड रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी स्थापित करने का प्रस्ताव है। ताकि इस क्षेत्र में काम कर रहे सभी क्लीनिक, डॉक्टर, मरीजों और नर्सों का डेटा सुरक्षित रखा जा सकें।
5. सजा का प्रावधान -
ART के माध्यम से पैदा हुए बच्चे को छोड़ना, उसका व्यापार करना, उसे आयात करना, बच्चे का शोषण करना आदि सभी अपराध की श्रेणी में आएगा। इन सभी अपराधों का अलग-अलग प्रावधान है और सजा है। 8 से 12 साल तक की सजा है और 5 से 20 लाख रूपए तक का जुर्माना है।