तलवों को शरीर का दूसरा हृदय कहा जाता है, क्योंकि तलवों पर एक गद्दीनुमा मांस का भाग होता है, जिस पर बहुत सारे रोम छिद्र होते हैं। इनका आकार त्वचा के रोम छिद्र से बड़ा होता है। जब हम चलते हैं तो इस गद्दी पर पूरे शरीर का दबाव पड़ता है। फलस्वरूप रोम छिद्र फैलते हैं
इन रोम छिद्रों के माध्यम से ऑक्सीजन अंदर चली जाती है और गद्दी में आए टॉक्सीन पसीने के माध्यम से बाहर आ जाते हैं। जैसे ही तलवों के स्पंज पर दबाव पड़ता है, वैसे ही रक्त की वाहिनियों पर दबाव बढ़ने लगता है और रक्त तेजी के साथ ऊपर की ओर धकेला जाता है। यही कारण है कि पैदल चलने पर हृदय रोगियों को सर्वाधिक लाभ मिलता है।
यदि पैरों के तलवे गंदे, कटे-फटे हैं तो शरीर की त्वचा भी ऐसी ही होगी। कारण साफ है यदि तलवे की नियमित रूप से सफाई व मालिश की जाती रहे तो शरीर की त्वचा को अधिक ऑक्सीजन और अच्छा खून मिलता है, इसीलिए कहा जाता है कि 'तलवा चमकेगा तो चेहरा दमकेगा'
तलवों की देखरेख के लिए
रात को सोने से पहले तलवों की सफाई करें और 3 मिनट गर्म और 1 मिनट ठंडा सेंक तीन बार लें।
तलवों की नियमित मालिश करें। मालिश के लिए तेल का चुनाव तलवों की प्रकृति के हिसाब से करें। खुश्क और पसीना छोड़ते तलवों के लिए वेसलीन और चंदन तेल मिलाकर मालिश करें। बच्चों और महिलाओं की सूखी और कठोर एड़ियों में जैतून का तेल और चाल मोगरा का तेल मिलाकर, कटी-फटी एड़ियों की मालिश सरसों का तेल, वेसलीन और नीबू मिलाकर करें और जिन तलवों में स्पंज कम हो गया हो, खिंचाव होता हो और एड़ी में खून आता हो तो शंखपुष्पी और नारियल का तेल मिलाकर मालिश करें।
सुबह स्नान करते समय हल्के से तलवों को रग़ड़कर साफ करें और स्नान के बाद सादा सरसों का तेल लगाएँ।
ऊंची एड़ी के चप्पल, सेंडिल और जूतों से बचें, क्योंकि इससे रक्त का प्रवाह असामान्य होता है।
प्रतिदिन 15 से 20 मिनट नंगे पैर घास में या हल्की गीली मिट्टी में अवश्य चलें।
तलवों का स्पंज बढ़ाने के लिए मिट्टी या बजरी पर उछलकूद करें। ऐसा करने पर केंद्रीय तंत्रिका तंत्र तेजी से विकसित हो संतुलित हार्मोंनों के स्राव में मदद करता है।