अक्सर ऐसा होता है कि हम अपनी शारीरिक बनावट में बदलाव चाहते हैं। मोटे व्यक्ति वजन कम करने की फिराक में रहते हैं तो पतले वजन बढ़ाने की कोशिशें करते रहते हैं। परंतु अक्सर ये कोशिशें सफल होती नजर नहीं आतीं। नतीजा, हम इन कोशिशों को बंद कर देते हैं और निराश हो जाते हैं।
मोटे होने और वजन बढ़ाने की कोशिश में तरह तरह की डाइट के सुझाव हमें कई जगहों से मिलते हैं। जिन पर हम अमल भी करते हैं परंतु जब इतना करने के बावजूद स्थिति में कोई खास बदलाव नहीं आता तो हमें खीज होती है। आपको लगता है आप जितना खाते हैं उससे कहीं अधिक खाकर भी वे इतने पतले क्यों बने रहते हैं। कोई अक्सर कहता मिल जाता है कुछ खा ही नहीं पाते तुरंत वजन चढ़ता है। आपका ऐसा सोचना लाजिमी है।
अगर आप ऐसी ही सोच में पड़े हुए हैं तो एक ऐसा बहुत खास कारण हो सकता है जो आपकी समस्या के पीछे जिम्मेदार है। इसे पहचानकर अगर उपाए करेंगे तो निश्चित ही आप बड़ा फर्क देखेंगे।
ब्लड ग्रुप के अनुसार डाइट
यह कांसेप्ट डाइट को ब्लड ग्रुप के हिसाब से बनाने का पक्षधर है। हम सभी हमारा ब्लड ग्रुप जानते हैं और यह अतिआवश्यक है कि हमें हमारा ब्लडग्रुप पता हो। डाइट को ब्लड ग्रुप के अनुसार रखने के पीछे कई मेडिकल कारण छुपे हैं। आपके ब्लड ग्रुप के अनुसार आपकी डाइट खाने का जल्दी पाचन करती है। इससे सही मात्रा में खाकर वजन पर काबू रखना संभव है।
ब्लडग्रुप दिखाता है आपका आतंरिक सिस्टम
किसी भी इंसान का ब्लडग्रुप उसका आतंरिक सिस्टम दिखाता है। उसका ब्लडग्रुप उनके शरीर की न्यूट्रिएंट्स को समाहित करने की क्षमता प्रदर्शित करता है। फिट और स्वस्थ रहने के लिए ब्लड ग्रुप के अनुसार खाना एक सही कदम है।
कौन से ब्लडग्रुप के साथ क्या खाएं?
ब्लड ग्रुप A वाले अपने स्वस्थ शरीर के लिए कार्बोहाइड्रेट पर अधिक भरोसा करें। इस ब्लडग्रुप वाले लोगों में लो लेवल हाइड्रोक्लोरिक एसिड और इंटेस्टिनल अल्केलाइन फॉस्फेट्स के कारण इनका शरीर एनीमल प्रोटीन और फैट की तुलना में अधिक कार्बोहाइड्रेट का पाचन कर सकता है।
ब्लड ग्रुप A वालों को सोया प्रोटीन, अनाज, सब्जियां दिन में कई बार खाना चाहिए। फलों में अल्कालाइन वाले फल जैसे सेब, खजूर, बेरीज, पीच आदि अधिक खाना चाहिए। पपीता, आम और संतरें न खाएं इन्हें खाने से आपका पाचन बिग़ड सकता है। आपके लिए डेयरी (दूध) अच्छी नहीं। आपका इंसूलिन लेवल बढ़ सकता है और केंसर, डायबिटिज और कार्डियोवस्कुलर बीमारियों का भी खतरा बढ़ जाता है।
ब्लड ग्रुप B
ब्लड ग्रुप B वाले अन्य ब्लड ग्रुप A या O वाले लोगों की तुलना में खुशनसीब हैं। ब्लड ग्रुप B वाले लोग डेयरी और अन्य स्त्रोतों से न्यूट्रिएंट्स पा सकते हैं। परंतु इन्हें सही बैलेंस रखने की बेहद जरूरत है। ब्लड ग्रुप B वाले अधिक फिट होते हैं परंतु इनके सिंड्रोम एक्स से ग्रसित होने की संभावना अधिक होती है क्योंकि स्ट्रेस के दौरान इनमें अधिक कार्टिसोल स्त्रावित होता है।
ब्लड टाइप B वाले लोग चिकन, गेहूं, मक्का, दालें, टमाटर, मूंगफली और तिल न खाएं। इनकी मेटाबोलिक प्रोसेस में मुश्किल होकर चक्कर आना जैसे लक्षण सामने आ सकते हैं। ब्लडग्रुप B वालों को रेड मीट, हरी सब्जियां, अंडे और कम फैट के डेयरी प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल भरपूर करना चाहिए।
ब्लड ग्रुप AB
यह कम लोगों का ग्रुप होता है। टाइप AB का मतलब है पेट में एसिड लेवल का कम होना। इनमें मीट जल्दी फैट में तब्दील होता है। इस ग्रुप के लोगों को कैफीन, शराब स्ट्रेस के दौर में नहीं करना चाहिए।
इनका पाचन मीट के प्रति कमजोर होता है। इनका पाचन अन्य चीजों के लिए भी कम ताकतवर है इसलिए इन्हें कम कम कई बार खाना चाहिए। इन्हें प्रोटीन के लिए सीफूड अधिक खाना चाहिए। अंडे, टोफू (एक किस्म का पनीर), सीफूड, सब्जियां और दही इनके लिए बढ़िया है।
ब्लड ग्रुप O
इस ब्लड ग्रुप में एसिड लेवल अधिक होता है जिससे ये आसानी से प्रोटीन और फैट पचा सकते हैं। एनीमल प्रोडक्ट्स ( डेयरी और मीट) इन्हें आसानी से कार्बोहाइड्रेट पचाने में मदद करते हैं। ब्लड ग्रुप A से अलग, इस ग्रुप में कार्बोहाइड्रेट फैट में बदल जाता है जिससे इम्यून सिस्टम की गति धीमी होती है और सूजन आ सकती है।
इस ब्लड ग्रुप के लोग ग्लूटन (जो डेयरी और साजे गेंहू में होता है) के प्रति भी एलर्जी प्रदर्शित कर सकते हैं। पत्तागोभी, फूलगोभी, राजमा थायराइड हॉर्मोन को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इन्हें भी कैफीन और एल्कोहन से बचना चाहिए। इन्हें पतला बीफ मीट, टर्की और चिकन अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए। इन्हें अंडे, मेवे और बीज भी थोड़े खाने चाहिए।
ग्लोबली मेडिकल एक्सपर्ट इस थ्योरी पर यकीन नहीं करते। यह थ्योरी वैज्ञानिकतौर पर साबित नहीं हुई है। यह कम समय के लिए आपको मनचाहा परिणाम दे सकती है क्योंकि आप बहुत कुछ खाना छोड देते हैं। परंतु एक्सपर्ट के अनुसार यह अधिक समय के लिए नहीं अपनाई जानी चाहिए।