शहरों में सामान्यत: ज्यादातर डिलीवरी नॉर्मल न होकर सिजेरियन होती है, जिनकी संख्या पिछले कुछ समय में अधिक बढ़ी है। लेकिन यह डिलीवरी महिला और शिशु, दोनों के लिए हानिकारक साबित होती है। यही कारण है कि सिजेरियन डिलीवरी के बाद देखरेख की अत्यधिक आवश्यकता होती है।
1) सिजेरियन डिलीवरी होने के बाद महिला का शरीर अपेक्षाकृत अधिक कमजोर हो जाता है और उसके शरीर से निकलने वाले रक्त की मात्रा, नार्मल डिलीवरी में निकलने वाले रक्त की तुलना में दुगुनी होती है।
2) डिलीवरी के बाद शरीर में मोटापे के अलावा और भी कुछ बदलाव होते हैं, जो कई तरह की बीमारियों को जन्म दे सकते हैं। मोटापे की यह संभावना बच्चे में भी उतनी ही होती है।
3) सिजेरियन डिलीवरी से जन्म लेने वाले बच्चों का प्रतिरक्षी तंत्र कमजोर होता है, जिसके कारण वे बीमारियों का सामना अपेक्षाकृत उतनी आसानी से नहीं कर पाते, जितना नॉर्मल डिलीवरी से जन्म लेने वाले बच्चे कर लेते हैं।
4) इस प्रकार जन्म लेने वाले बच्चों में ब्रोंकाइटिस और एलर्जी का खतरा सबसे अधिक होता है। इसका प्रमुख कारण उनक प्रतिरक्षी तंत्र कमजोर होना है।
5) इस प्रकार की डिलीवरी में मां को स्वास्थ्य और खानपान के प्रति कई तरह की सावधानियां रखनी होती हैं, जिनकी अनदेखी का नकारात्मक असर उनके स्वास्थ्य पर पड़ता है।
इन सभी के अलावा सिजेरियन डिलीवरी में नार्मल की अपेक्षा खर्च भी बहुत होता है, जो हर किसीके लिए वहन करना आसान नहीं है। साथ ही सिजेरियन के कारण मां और बच्चों में होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं की फेहरिस्त भी लंबी है, जो लंबे समय तक परेशान करती है।