कोरोना वायरस की तीसरी लहर का खतरा एक बार फिर से मंडराने लगा है। केरल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, मिजोरम में मुख्य रूप से कोविड के केस निकल रहे हैं। इसे तीसरी लहर की आशंका बताया जा रहा है। कोविड-19 से ठीक होने वाले लाखों मरीज पोस्ट कोविड की चपेट में भी आए।मरीजों को कोविड-19 के दौरान दी जाने वाली दवा के साइड इफेक्ट अलग - अलग बीमारियों के रूप में गंभीर रूप से नजर आए। जिसमें मुख्य रूप से फंगल इंफेक्शन रहा। लगातार बढ़ते हुए फंगल इंफेक्शन के मामले में सामने आया कि स्टेरॉयड इसका प्रमुख कारण है। स्टेरॉयड से लोगों की जान बच भी गई लेकिन कई लोग फंगल इंफेक्शन की चपेट में आ गए। जान बचाने के लिए मरीजों के अंग तक को निकालना पड़ा। हाल ही इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR)द्वारा एक रिपोर्ट में फंगल इंफेक्शन को लेकर चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।
ICMR द्वारा एक ताजी रिसर्च में सामने आया है कि एंटीमाइक्रोबियल का अधिक इस्तेमाल करने से मरीज फिर से फंगल इंफेक्शन की चपेट में आ रहे हैं। शुक्रवार को जारी की गई रिपोर्ट एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस रिसर्च एंड सर्विलांस नेटवर्क की सालाना रिपोर्ट में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ।
एंटीमाइक्रोबियल क्या होता है?
एंटीमाइक्रोबियल का इस्तेमाल इंसानों, पौधों और जानवरों में लगे इंफेक्शन को रोकने के लिए किया जाता है। वर्तमान में कोरोना से ठीक होने के बाद पोस्ट कोविड साइड इफेक्ट की चपेट में आर रहे मरीजों के लिए दवा का इस्तेमाल किया जा रहा है। ICMR के अनुसार एंटीमाइक्रोबियल को अधिक इस्तेमाल करने से पैथोजन बनते हैं। मतलब उस बैक्टीरिया फंगल का पुनः जन्म होने लगता है। और फिर से इंफेक्शन होने लगता है।