Benefits of giving up wheat: गेहूं से ही मैदा बनता है। पुराने जमाने में गेहूं की फसल नहीं होती थी। लोग ज्वार, जौ और बाजरा ही खाते थे। गेहूं का आटा और मैदा खाने से हमारे शरीर को कई तरह के नुकसान पहुंचते हैं। यदि आप गेहूं का आटे और मैदे से बनी चीजें खाना छोड़ देते हैं तो क्या होगा शरीर में बदलाव? आओ जानते हैं इस संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी।
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गेहूं से कुछ लोगों को कब्ज, गैस और अफारा जैसे रोग हो जाते हैं।
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गेहूं से कुछ लोगों को वजन बढ़ना, ग्लूटेन सेंसिटिविटी और कई अन्य तरह की समस्या का सामना करना पड़ता है।
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गेहूं में जो ग्लूकोज है। यदि गेहूं का सेवन नहीं करते हैं तो ब्लड में ग्लूकोज का लेवल मेंटेन रहता है। डायबिटीज नहीं होगी।
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गेहूं में कार्ब्स होता है जिससे गैस, ब्लोटिंग, पेट में दर्द की समस्या पैदा होती है। यदि आप इसका सेवन नहीं करेंगे तो इससे बच जाएंगे।
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गेहूं का सेवन नहीं करने से कैलोरी पर भी इसका असर पड़ता है जो वजन कम करने में सहायक है।
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सीलिएक रोग में शरीर ग्लूटेन को पचाने में सक्षम नहीं रहता है। इससे आतों को नुकसान होता है। गेहूं नहीं खाने से इस समस्या से बचा जा सकता है।
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लगातार मैदा खाने से कब्ज के साथ ही गुदा से संबंधित रोग भी होने लगता है। इसे न खाने से इस रोग से भी मुक्ति मिल जाती है।
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मैदे का लगातार सेवन से इंसुलिन बनने की मात्रा कम हो जाती है और ग्लाइसेमिक इंडेक्स बढ़ जाता है तब व्यक्ति डायबिटीज का शिकार हो जाता है। इसे छोड़ देने से इस रोग में लाभ मिलता है।
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गेहूं या मैदा लगातार खाने से दिल का खतरा भी बढ़ जाता है। इसे छोड़ देने से इस रोग से बचा जा सकता है और खतरे को बहुत हद तक कम किया जा सकता है।
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मैदा आटे से ही बनाया जाता है लेकिन इसको बनाने के तरीके से आटे के सभी गुण नष्ट हो जाते हैं। और अंत में यह एसिडिटी बन जाता है। मैदा का सेवन करने से हड्डियां तेजी से कमजोर होती है। क्योंकि मैदा आपकी हड्डियों से कैल्शियम को कम करता है। यदि मैदा खाना छोड़ देंगे तो शरीर में हड्डियां फिर से मजबूत होने लगेगी।