हमारे हाथों में अनदेखी गंदगी छिपी होती है, जो किसी भी वस्तु को छूने, उसका उपयोग करने एवं कई तरह के दैनिक कार्यों के करण होती है। यह गंदगी, बगैर हाथ धोए खाद्य एवं पेय पदार्थों के सेवन से आपके शरीर में जाती हैं, और बीमारियों को जन्म देती हैं। हाथों की धुलाई के प्रति जागरूकता पैदा करने के मकसद से पूरे विश्व में 15 अक्टूबर को विश्व हाथ धुलाई दिवस मनाया जाता है।
इस वर्ष 15 से 28 अक्टूबर तक हाथ धुलाई पखवाड़ा मनाया जा रहा है। जिसमें हाथ धोने के प्रति जागरूकता हेतु कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।
हाथ धुलाई जागरूकता अभियान की बड़ी उपलब्धि के रूप में इस वर्ष मध्यप्रदेश में एक साथ 12 लाख 76 हजार 425 विद्यार्थियों द्वारा 'विश्व हाथ धुलाई दिवस' पर हाथ धोने के कीर्तिमान को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड की मान्यता मिल गई है। इसमें मध्यप्रदेश के 51 जिलों के 13 हजार 196 अलग-अलग स्थानों में हाथ धुलाई कार्यक्रम आयोजित हुए थे। इससे पहले हाथ धुलाई का यह विश्व रिकॉर्ड अर्जेंटीना, पेरू और मेक्सिको के नाम दर्ज हुआ था।
बचपन में स्कूल में सिखाया जाता था, कि खाना खाने के पहले हाथ धोना चाहिए। इसके अलावा साफ-सफाई से जुड़ी बहुत सी बातें बताई जाती थी। धीरे-धीरे यह बातें हमारी अच्छी आदतों में शामिल हो गई, लेकिन दुनियाभर में कई लोग आज भी इनके प्रति जागरूक नहीं हैं। विश्व हाथ धुलाई दिवस का उद्देश्य इसी जागरूकता को समाज तक पहुंचाना है।
इस दिन खास तौर पर सरकारी स्कूलों एवं कार्यालयों में हाथ धोने से होने वाले लाभ एवं न धोने से होने वाले नुकसान के बताने के लिए विभिन्न आयोजन किए जाते हैं। अंगनवाड़ियों एवं सरकारी स्कूलों में मध्यान भोजन के पूर्व बच्चों को हाथ धोने के प्रति शिक्षित और जागरूक किया जाता है, ताकि वे इसे अपनी आदत बनाएं।
दरअसल यह स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता का ही एक हिस्सा है। क्योंकि हाथ की धुलाई से बीमारियों से बचा जा सकता है, और यह बेहतर स्वास्थ्य की ओर एक अच्छी पहल है। हर व्यक्ति को स्वास्थ्य के प्रति इन छोटी-छोटी बातों के प्रति सजग होना चाहिए, ताकि हम एक स्वास्थ समाज का निर्माण कर सकें।