अंगूर सारे भारत में आसानी से उपलब्ध फल है। इसमें विटामिन-सी तथा ग्लूकोज पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। यह शरीर में खून की वृद्धि करता है और कमजोरी दूर करता है। यही कारण है कि डॉक्टर लोग मरीजों को फलों में अंगूर ही खाने की सलाह देते हैं।
अंगूर को संस्कृत में द्राक्षा, बंगला में बेदाना या मनेका, गुजराती में धराख, फारसी में अंगूर, अरबी में एनवजबीब, इंग्लिश में ग्रेप या ग्रेप रैजिन्स तथा लैटिन में विटिस् विनिफेरा कहते हैं।
अंगूर एक अच्छा ब्लड प्यूरीफायर (रक्तशोधक) व रक्त विकारों को दूर करने वाला फल है। अंगूर पाचन की गड़बड़ी, मियादी बुखार, मानसिक परेशानी आदि भी काफी लाभकारी है। अंगूर हमारे शरीर में मौजूद विषैले तत्वों को आसानी से शरीर से बाहर निकाल देता है।
अंगूर रक्त की क्षारीयता संतुलित करता है, क्योंकि रक्त में अम्ल व क्षार का अनुपात 20:80 होना चाहिए। यदि किसी कारणवश शरीर में अम्लता बढ़ जाए, तो वह हानिकारक साबित होता है। अंगूर बढ़ती अम्लता को आसानी से कन्ट्रोल करता है।
इसके अतिरिक्त सोडियम क्लोरॉइड, पोटेशियम क्लोरॉइड, पोटेशियम सल्फेट, मैग्निशियम तथा एल्युमिन जैसे महत्वपूर्ण तत्व भी इसमें भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं।
अंगूर में पाई जाने वाली शर्करा पूरी तरह से ग्लूकोज से बनी होती है, जो कुछ किस्मों में 11 से 12 प्रतिशत तक होती है और कुछ में 50 प्रतिशत। यह शर्करा शरीर में पहुंच कर एनर्जी प्रदान करती है। इसलिए इसे हम एक आदर्श टॉनिक की तरह प्रयोग में लाते हैं। अंगूर का सेवन थकान को दूर कर शरीर को चुस्त-फुर्त व मजबूत बनाता है।