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हलवा देता है 10 पौष्टिक फायदे, जानिए कैसे बनाएं

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सामग्री : 250 ग्राम गेहूं आटा, 200 ग्राम चीनी, 2 बड़ा चम्मच शुद्ध घी, आधा चम्मच इलायची पाउडर, 4-5 केसर के लच्छे, मेवे की कतरन।
 
विधि : एक कड़ाही में घी गरम करके आटा डालकर धीमी आंच पर गुलाबी होने तक सेकें। एक बर्तन में अलग से पानी गरम करके आटे में डाल कर जल्दी-जल्दी चलाएं। थोड़ा गाढ़ा होने पर चीनी मिलाएं और चलाएं।
 
ऊपर इलायची पावडर, मेवे की कतरन डाल दें। जब हलवा घी छोड़ने लगे तब उतार लें। लीजिए तैयार है आटे का शाही हलवा। अब पौष्टिक हलवा खुद भी खाएं और परिवार वालों को भी खिलाएं।
 
हलवा खाने के 10 फायदे- 
 
1 सूजी का हलवा बना रहे हैं तो सूजी के दाने थोड़े मोटे ही लें, एकदम बारीक नहीं। यह पाचन तंत्र के लिए बेहतर होता है।
 
2 अगर आटे का हलवा बना रहे हैं तो ध्यान रखें कि आटा जरा मोटा पिसा हुआ हो, ये चिपकेगा नहीं और स्वाए व पाचन दोनों के लिए अच्छा रहेगा।
 
3 अगर नुकसान से बचना चाहते हैं, तो डालडा या बाजार के घी के बजाए देसी घी या गाय के शुद्ध घी का प्रयोग करें। देशी घी में बना हलवा त्रिदोषों का संतुलन करता है।
 
 
4 हलवे को सूर्योदय के पहले उठकर मुंह धोकर पकाते हुए तुरंत गर्मा-गरम खाना चाहिए। 
 
5 हलवा ठंडा करके न खाएं, इसे गर्मागर्म ही परोसें ताकि सिरदर्द या न्यूरो वेस्कुलर डिसआर्डर जैसी समस्याओं में फायदा मिल सके।
 
6 हलवा खाने के तुरंत या कुछ देर बाद तक भी ठंडा पानी न पिएं, वरना आप इसके फायदों को नहीं पा सकेंगे। आधे घंटे बाद ही पानी पिएं।
 
7 हलवा पचने में बहुत हल्का होता है, इसलिए इसे सर्जरी के बाद, प्रसव के बाद, कमजोरी में, बीमारी से उबरने में और कम वजन वाले लोगों को भी दिया जा सकता है।

 
8 हलवे में केसर, इलायची और थोड़े से सूखे मेवों का प्रयोग किया जा सकता है।
 
9 देशी घी में बना हलवा त्रिदोषों का संतुलन करता है और हमें स्वस्थ बनाता है।
 
10 शकर की जगह गुड़ का प्रयोग करेंगे, तो स्वाद और सेहत दोनों के फायदे पा सकेंगे। अगर आपको शकर ही डालना है, तो ब्राउन शुगर भी यूज कर सकते हैं।
 
नोट : मधुमेह रोगियों को इसका सेवन नहीं करना चाहिए। 

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