स्मार्ट वॉच आपकी कलाई पर बंधा हुआ बैंड आपकी हेल्थ की निगरानी करता है? फैशन के नजरों से यह आपको कूल लुक देता है। कलाई पर बांधी गई यह स्मार्ट वॉच स्वास्थ्य का ख्याल ही रख सकती है लेकिन आपको सेहतमंद नहीं बना सकती है। कुल दिखने वाली यह स्मार्ट वॉच दरअसल आपको और अधिक तनावग्रस्त कर सकती है। एक रिसर्च के मुताबिक आपकी सेहत पर हर सेकेंड नजर रखने वाला यह बैंड आपको स्वस्थ कम और तनावग्रस्त अधिक रखते हैं। क्योंकि दिनभर इन स्मार्ट वॉच में फिटनेस का हिसाब-किताब लगाते हैं और जब सेहत के उस टार्गेट का अचीव नहीं कर पाते हैं तो लगता है आपके पीछे छूटते जा रहे हैं या अपनी सेहत का ख्याल नहीं रख पा रहे हो या किसी परीक्षा में फैल हो रहे हो। जीवन में आज के वक्त में तनाव की कमी नहीं है और ऊपर से ये तनाव बढ़ जाता है।
जानिए Nocebo Effect क्या होता है?
इसका मतलब ऐसी खबर, नोटिफिकेशन या घटना जो आपका मूड खराब कर दें। उदाहरण के लिए आप सुबह 8 बजे तक सो कर उठते हैं उस वक्त आपका मूड बहुत अच्छा होता है आप एकदम फ्रेश महसूस करते हैं। लेकिन आपके दोस्त का कॉल आता है और सेहत पर बात होती है जिसमें वे कहते हैं अगर आप सुबह उठकर 5 किमी भी पैदल नहीं चलते हैं तो आप बीमार पड़ जाएंगे। यह बात सुनते ही आपका मूड़ पूरा खराब हो जाता है। आपको लगने लगता है कि आप कामचोरी कर रहे हैं, आप अपनी सेहत के साथ अन्याय कर रहे हैं।
ऐसी कोई बात, नकारात्मक घटना या विचार जो आपको उदास कर दें, उसे जानने के बाद उसे तनाव होने लगे विज्ञान की भाषा में नसीबो इफेक्ट कहते हैं। और ये स्मार्टवॉच भी बिल्कुल ऐसा ही कर रही है। जब तक आपने स्मार्ट वॉच नहीं पहनी थी आप स्वस्थ थे लेकिन इसके बाद से पल-पल स्मार्टवॉच आपका तनाव बढ़ाती है।
जब स्मार्ट वॉच आपको यह दिखाता है कि आपका बीपी बढ़ गया है, हार्ट रेट हाई है या दिनभर में आपको जितनी कदम चलना चाहिए थे आपने नहीं चले हैं तो आपकी बेचैनी बढ़ने लगती है। ऐसा लगता है आप उस लक्ष्य को पूरा नहीं कर पा रहे हैं।
स्वास्थ्य के लिए तो यह गैजेट तो पहनते हैं लेकिन बाद में यह गैजेट ही आपको बताते हैं कि आप कितने निष्क्रिय है।
इन स्मार्ट वॉच को पहनने के बाद जब आप रोज ट्रैक करने लगते हैं कि आप आज कितना चले हैं। और अगर उतना नहीं चल पाते हैं तो उस टारगेट को पूरा करने के लिए आप अधिक चलने की कोशिश करने लगते हैं। और जब आप हद से अधिक वर्कआउट कर कार्य करने लगते हैं तो ये आपके लिए नया टारगेट सेट कर देते हैं। लेकिन इसका असर तब नकारात्मक आप पर पड़ता है जब आप देखते है कि पूरी दिनभर की मेहनत के बाद भी आप अपना टारगेट पूरा नहीं कर सकें। जिससे आपको लगने लगता है कि आप किसी भी कार्य को पूरा नहीं कर पाते हैं।
इससे आपकी सेहत की संभावना पूरी हो या नहीं हो लेकिन बड़ी-बड़ी कंपनियां सेहतमंद बन रही है।
पहले परिवार साथ रहता था और अब स्मार्ट वॉच ?
दरअसल, पुराने जमाने में पूरा परिवार साथ रहता था। जब कोई परेशानी आती थी तो परिवार सपोर्ट करता था। एक तरह से इको सिस्टम आपके साथ रहता था। परिवार मिलकर समस्याओं का समाधान ढूंढते थे। सोशल सपोर्ट सिस्टम था तो कभी गैजेट की कमी महसूस ही नहीं हुई। लेकिन आज के वक्त में एक ही परिवार के लोग साथ में रहते हुए भी साथ नहीं होते हैं। उन्हें एक-दूसरे की परेशानी का पता नहीं होता है। वे हंस भी नहीं पाते हैं। इस बदलते वक्त में हंसी भी खरीदना पड़ रही है। क्लास जॉइन करने लगे हैं जहाँ आपको हंसाया जाता है।
यूजर्स क्या कहते हैं?
अदिति ने बताया कि मैंने स्मार्ट वॉच बहुत शौक से खरीदी थी, लेकिन उसे पहनने के बाद मेरा ध्यान सिर्फ उस पर ही जाता था कि आज मैंने वॉक की है, कितनी कैलोरी बर्न की है और जब यह टारगेट पूरा नहीं होता था फिर दिमाग में वहीं घूमता रहता है।
अवि ने बताया कि, मैंने स्मार्ट वॉच खरीदी है जिसमें मैं अपना बीपी, हार्ट रेट, डेली वॉक, और कितनी कैलोरी बर्न की है वो चेक कर सकता हूं लेकिन उससे और डर लगने लग गया था। मेरी नजरे बार-बार उसपर ही जाती थी कि कहीं बीपी तो नहीं बढ़ गया। मुझे बहुत ज्यादा एंग्जाइटी होने लगती थी। इसलिए फिर मैंने स्मार्टवॉच और फिटनेस बैंड पहनना बंद कर दिया।
मुकुंद ने बताया कि, मुझे स्मार्टवॉच और फिटनेस बैंड दोनों का ही क्रेज मुझे रहा है लेकिन अब दोनों का ही इस्तेमाल नहीं करता हूं। क्योंकि मैं स्मार्ट वॉच पहनने पर अगर किसी का भी मैसेज आता मैं तुरंत चेक करने लगता। वहीं फिटनेस बैंड पहनने पर मैं बार-बार चेक करता कितनी स्टेप्स पूरे कर लिए है। किसी दिन वह पूरे नहीं होते हैं तो बार-बार ऐसा लगता है थोड़ा और चल लेते हैं। मतलब प्रेशर महसूस होता था। इसलिए अब नहीं पहनता हूं।
स्वास्थ्य से जुड़े फैसले फिटनेस गैजेट की भरोसे नहीं लें -
- वर्कआउट के दौरान आप पहन सकते हैं।
- कितना और कैसे वर्कआउट करें ट्रेनर या डॉक्टर से सलाह लें।
- 24 घंटे 7 दिन गैजेट के भरोसे नहीं रहें।