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आयुर्वेदिक काढ़ा कैसे बनाएं घर पर, कितना है फायदेमंद

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किसी भी रोग से लड़ने के लिए हमारी प्रतिरोधक क्षमता का मजबूत होना बेहद जरूरी होता है। इस वक्त कोरोना वायरस से पूरा विश्व परेशान है। हर तरफ सिर्फ इस वायरस से कैसे निजात पाई जा सकती है, इसको लेकर कार्य किए जा रहे हैं। वहीं इस वायरस से निपटने के लिए इम्यून सिस्टम को मजबूत करने पर भी जोर दिया जा रहा है। हर व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता मजबूत रहे, इसके लिए काढ़े का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके साथ ही इस काढ़े से सर्दी, खांसी व गले में दर्द जैसी समस्या से भी निजात पाई जा सकती है।
 
वहीं मध्यप्रदेश सरकार भी लोगों के इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के लिए काढ़े को वितरित कर रही है जिसके सेवन से प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी, साथ ही रोगों से लड़ने में मदद मिलेगी। आखिर इस काढ़े से क्या फायदा हो सकता है? इसे कैसे तैयार किया जा सकता है? और डाइट में इसे कैसे शामिल करना है? इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए हमने बात की डायटिशियन पायल परिहार से और जाना स्वास्थ्य के लिए कितना लाभदायक है काढ़ा?
 
डायटिशियन पायल परिहार (Dietitian and diabetes educator) आइए जानते हैं एक्सपर्ट एड्वाइस
 
सबसे पहले जानते हैं कि काढ़े के लिए किन चीजों की आवश्यकता है?
 
पीपल, सोंठ, कालीमिर्च, तुलसी के पत्ते और 1 लीटर पानी
 
कैसे बनाएं काढ़ा?
 
पीपल, सोंठ एवं कालीमिर्च को समान मात्रा में मिलाकर तथा कूटकर तैयार किए गए त्रिकटु चूर्ण को 3-4 तुलसी के पत्‍तों के साथ 1 लीटर पानी में उबालें। जब पानी आधा रह जाए, तब लगभग 1-1 कप गुनगुना काढ़ा दिन में 3 से 4 बार पिएं।
 
कितना है फायदेमंद जानिए - 
 
डाइटिशियन परिहार बताती हैं कि किसी भी बीमारी से निपटने के लिए इम्यून सिस्टम का मजबूत होना बहुत जरूरी है जिसमें यह काढ़ा आपकी बहुत मदद कर सकता है। इस काढ़े को तैयार करने के लिए पीपल, सोंठ व कालीमिर्च का इस्तेमाल किया गया है।
 
वे बताती हैं कि पीपल की छाल व पत्तों इन सभी का आयुर्वेद में बहुत लंबे समय से इस्तेमाल किया जा रहा है। अगर हम फायदे की बात करें तो इसके कई फायदे हैं जिनका आयुर्वेद में इस्तेमाल किया जाता है, जैसे पीपल का इस्तेमाल पेट के दर्द व चेहरे पर बने निशान को कम करने के लिए भी किया जाता है। साथ ही साथ इसके कई स्वास्थ्य लाभ भी हैं। पीपल में एंटीमाइक्रोबियल होते हैं, जो हमारे शरीर के अंदर जाकर माइक्रोब्स को बढ़ाने से रोकते हैं।
 
वहीं कालीमिर्च का इस्तेमाल जहां खाने के स्वाद को बढ़ाने के लिए किया जाता है, वहीं इसके स्वास्थ्य लाभ भी बहुत हैं। कालीमिर्च में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो हमारे इम्यून सिस्टम को बढ़ाने में हमारी मदद करते हैं। यह हाई एंटीऑक्सीडेंट का एक अच्छा स्रोत है, वहीं गले में खराश की समस्या, गले में दर्द होना, टॉन्सिल्स जैसी समस्या से निजात पाने के लिए कालीमिर्च का इस्तेमाल किया जाता है। कालीमिर्च का पाउडर सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होता है इसलिए काढ़े में कालीमिर्च का इस्तेमाल किया गया है।
 
इसके साथ ही सोंठ की बात करें तो अदरक को अच्छी तरह से सुखाने पर यह सोंठ बन जाती है। सोंठ का भी इस्तेमाल इस काढ़े में किया गया है। इसमें भी एंटीऑक्सीडेंट होते हैं। एंटीमाइक्रोबियल थैरेपी इसे कहा जा सकता है।
 
इन सभी को मिलाकर काढ़े को तैयार करने पर यह स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद हो जाता है। कालीमिर्च, पीपल, सोंठ में Vitamin K पाया जाता है और हमारे स्वास्थ्य के लिए Vitamin K लाभदायक है। लेकिन जरूरी बात यह है कि बहुत अधिक मात्रा में भी Vitamin K का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इन सभी का इस्तेमाल बहुत अधिक मात्रा में करने से भी यह नुकसान पहुंचा सकता है इसलिए सही मात्रा में लेना आवश्यक है।
 
तुलसी का महत्व न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से है बल्कि सेहत की दृष्टि से भी इसकी खासी उपयोगिता है। तुलसी में कई चिकित्सकीय विशेषताएं हैं। तुलसी एक जानी-मानी औषधि भी है जिसका इस्तेमाल कई बीमारियों में किया जाता है।
 
वहीं इस काढ़े को आप दिन में 3 से 4 बार पी सकते हैं। इसके अलावा आप हल्के गर्म पानी में दालचीनी को डालकर रखें और इसके पानी को दिनभर पीते रहें। इसके इस्तेमाल से भी गले के दर्द से आपको निजात मिलेगी।


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