दुनियाभर में कोविड के डेल्टा वैरिएंट ने आतंक मचा दिया है। विदेशों में तेजी से पैर पसार रहा ओमिक्रोन के मामले धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ने लगे हैं। भारत में कई राज्यों में सख्ती से नाइट कर्फ्यू के आदेश जारी कर दिए है। वहीं बड़े आयोजनों पर एक बार फिर से रोक लगाई जा रही है। डब्ल्यूएचओ द्वारा घर में रहने की सलाह दी गई। कोविड नियमों का पालन करें। कोविड के नए वैरिएंट को ठीक से समझते इससे पहले अब एक और नए वैरिएंट डेलमिक्रोन ने दस्तक दे दी है। आइए जानते हैं डेलमिक्रोन के बारे में इसके लक्षण और बचाव के उपाय -
महाराष्ट्र की टास्क फोर्स कोविड -19 के सदस्य डॉ शशांक जोशी ने बताया कि एक यह डेल्टा और ओमिक्रोन का कॉम्बिनेशन है। जो यूरोप और यूएस तेजी गति से प्रभावित कर रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि वर्तामन में यह दोनों वैरिएंट भारत सहित पूरी दुनिया में तबाही मचा रहे हैं।
CDC (Centers For Disease Control and prevention) द्वारा जार किए गए डाटा में बताया गया कि ओमिक्रोन वैरिएंट भी बहुत तेजी से लोग वायरस की चपेट में आ रहे हैं। करीब 73 फीसदी केस वहां पर निकल रहे हैं।
ओमिक्रॉन ने पहले के प्रमुख डेल्टा संस्करण को विस्थापित कर दिया है। सीडीसी के मुताबिक 90 फीसदी केस उत्तर-पश्चिम, दक्षिण, दक्षिण-पूर्व और उत्तर-पूर्व में सामने आ रहे हैं। फिलहाल अमेरिका डेल्टा और ओमिक्रोन के कॉम्बिनेशन से बने डेलमिक्रॉन की वजह से तेजी से फैल रहा है। वहां पर बूस्टर डोज पर जोर दिया जा रहा है। साथ ही ब्रिटेन में यूएस जैसी स्थिति बनी हुई है।
डेलमिक्रोन के लक्षण
ओमिक्रोन और डेल्टा वैरिएंट का कॉम्बिनेशन डेलमिक्रॉन के लक्षण एक जैसे ही है। उसमें कोई बदलाव नहीं है। आइए जानते हैं-
- कफ होना।
- तेज बुखार।
- सूंघने और स्वाद की शक्ति चले जाना।
- सिरदर्द।
- जुकाम होना।
अध्ययनों से पता चला है कि डेल्टा और आेेमिक्रोन दोनों प्रकार आसानी से ट्रांसफर होते हैं। वास्तव में, ब्रिटेन सरकार के वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन में कहा कि जो ब्रिटेन के लोग कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन संस्करण से बीमार पड़ते हैं, उनके गंभीर रूप से बीमार होने की संभावना डेल्टा की तुलना में कम होती है।
हालांकि जो लोग ओमिक्रोन की चपेट में आ रहे हैं उनमें से अधिकतर लोग ठीक होकर अपने घर भी लौट रहे हैं। ओमिक्रोन से मौत का आंकड़ा काफी कम है। और उन्हें दोनों डोज लग गई है वे जल्दी रिकवर हो रहे हैं। यूएस, यूके में ओमिक्रोन के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं इसलिए वहां पर बूस्टर डोज पर अधिक जोर दिया जा रहा है। भारत में इस पर विचार किया जा रहा है।