कोरोना वायरस का प्रकोप अब धीरे-धीरे कम होने लगा है, दुनियाभर में आई दूसरी या तीसरी लहर ने कई लोगों को अपनी जद में ले लिया था। इतना ही नहीं बच्चे में भी कोविड की चपेट में आने लगे थे। अमेरिका में कोविड से करीब 300 बच्चों की मौत हो गई। लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक बड़ों के मुकाबले बच्चों की इम्यूनिटी तीव्र होती है।
जिससे कई बच्चों को कोविड होने के बारे में पता भी नहीं चला। और लक्षण भी नजर नहीं आए। हालांकि अब स्कूल री-ओपन हो रहे हैं, लेकिन जिस तरह से कोविड का लोगों की जिंदगी पर प्रभाव पड़ा है इसे देखते हुए पैरेंट्स अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयार नहीं है। जिसका सबसे बड़ा कारण है बच्चों के लिए वैक्सीन नहीं है। सिर्फ कोविड नियमों का पालन उन्हें करना है।हालांकि इस दौरान भी अगर उन्हें मास्क सूट नहीं करता है तो वह भी जोखिम है।
जिस तरह से स्कूल धीरे-धीरे अब खुलने लगे हैं लेकिन कोविड का डर सभी को है। ऐसे में सवाल उठने लगा था कि क्या बच्चों के लिए भी वैक्सीन जरूरी है। इसे ध्यान में रखते हुए दुनियाभर में 4 कंपनियां बच्चों के लिए वैक्सीन तैयार कर रही है। आइए जानते हैं उन सभी वैक्सीन के बारे में जानते हैं। साथ ही जानेंगे कौन सी वैक्सीन के ट्रायल कहां तक पहुंचे हैं।
-कोवैक्सीन - भारत बायोटेक की कोवैक्सीन द्वारा दूसर-तीसरे चरण का ट्रायल पूरा हो गया है। कपंनी द्वारा अब 18 साल से कम उम्र के बच्चों पर यह वैक्सीन ट्रायल चल रहा था। अगले सप्ताह तक भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई यानी ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया) को आंकड़े सौंप सकते हैं। साथ ही बच्चों के लिए इंट्रनैजल टीके के ट्रायल जारी है जिसके दूसरे चरण का ट्रायल अक्टूबर महीने तक पूरा होने की उम्मीद जताई है।
- जायकोव-डी - जायकोव-डी कोविड नीडल फ्री वैक्सीन है। यह वैक्सीन बच्चों को अक्टूबर माह के पहले सप्ताह से लगना शुरू हो सकती है। हालांकि यह वैक्सीन 12 साल से अधिक उम्र के बच्चों और 18 साल से कम उम्र के बच्चों को दी जाएगी। यह दुनिया की पहली डीएनए वैक्सीन है साथ ही इसे बच्चों को तीन चरणों में दिया जाएगा। अभी तक की सभी वैक्सीन के दो डोज दिए गए है। वहीं स्पुतनिक वी लाइट वैक्सीन का सिर्फ सिंगल डोज ही है। जायकोव-डी वैक्सीन की पहली डोज के बाद 28वें दिन दूसरी डोज दी जाएगी और 56 दिन बाद तीसरी डोज दी जाएगी। गौरतलब है कि इस वैक्सीन के ट्रायल में करीब 28000 पार्टिसिपेंट्स थे।
- फाइजर - फाइजर द्वारा 5 से 11 साल तक के बच्चों पर टीकाकरण प्रभावी पाया गया है। हालांकि अमेरिका CDC से मंजूरी मिलना बाकी है। फाइजर और बोयोएनटेक(जर्मन) द्वारा पहले से ही 12 साल से अधिक उम्र के बच्चों के लिए वैक्सीन उपलब्ध है। वहीं बच्चों के स्कूल री ओपन हो रहे हैं इस लिहाज से टीकाकरण पर तेजी से काम चल रहा है। साथ ही कोरोना का डेल्टा वेरिएंट अभी तक का सबसे खतरनाक वेरिएंट है। जिसका असर बच्चों पर भी हुआ है। ट्रायल किए गए बच्चों पर बड़ों की तरह ही लक्षण नजर आए है। हाथ पैर दर्द करना, बुखार आना, बॉडी गर्म होना। फाइजर द्वारा करीब 4500 बच्चों पर ट्रायल किया गया। इसमें अमेरिका, फिनलैंड, स्पेन और पोलैंड के बच्चे शामिल रहे।
- मॉर्डना वैक्सीन - यह ट्रायल करीब 6000 बच्चों पर किया गया है। मॉर्डना ने अमेरिका की नेशनल एलर्जी और इंफेक्सियस डिजीज इंस्टीट्यूट के साथ मिलकर ट्रायल किया है। कपंनी द्वारा 12 से 17 साल के 3000 बच्चों को वैक्सीन डोज दिया गया। जिन बच्चों को कोविड के दोनों डोज दिए गए उनमें कोविड के लक्षण नहीं पाए गए। हालांकि मॉर्डना वैक्सीन अभी भारत में वयस्कों के लिए भी उपलब्ध नहीं है। ऐसे में बच्चों के लिए कब तक उपलब्ध होगी कहना मुश्किल है।