अक्सर देखा जाता है कि जब कोई जानवर बीमार होता है तो रोग की दशा में पृथ्वी की शक्ति का वह खास तौर पर उपयोग करता है। घायल हुए जानवर तालाब या पोखर के कीचड़ में जा लेटते हैं और अपने आप को स्वस्थ बना लेते हैं।
गीली मिट्टी के लाभकारी प्रयोग
महीन पिसी हुई मिट्टी को पानी के साथ घोलकर कीचड़ जैसा बना लें एवं उसको शरीर पर लेपकर सुखा लीजिए, कुछ देर बाद मिट्टी सूखने लगती है। फिर ठंडे या गुनगुने पानी से स्नान कर लेने से अनेक रोग दूर हो जाते हैं।
मिट्टी चिकित्सा के अन्य प्रयोग
रोग होने पर आवश्यकतानुसार निम्नलिखित प्रयोगों से उपचार किया जाता है। (1) मिट्टी की गरम पट्टी (2) मिट्टी की ठंडी पट्टी (3) गरम मिट्टी की पट्टी (4) रज स्नान (5) पंक स्नान (6) बालू भक्षण।
सूखी मिट्टी के लाभकारी प्रयोग
बिजली के मारे या सांप के काटे हुए व्यक्ति को यदि जमीन में करीब दो हाथ गहरा गड्ढा खोदकर उसमें बैठा दिया जाए और गीली मिट्टी से गर्दन और सिर खुला रखकर उसे भर दिया जाए तो 1 से 24 घंटे तक में रोगी के शरीर से जहर निकल जाएगा और वह मरने से बच जाएगा।
शुद्ध साफ मिट्टी को कपड़ा छानकर लीजिए और उसे पूरे अंग पर रगड़िए। पूरे शरीर पर रगड़ने के बाद 10 से 20 मिनट धूप में बैठ जाइए। तत्पश्चात शीतल जल से स्नान कर लें। यह सूखी मिट्टी का स्नान है।
लाभ - त्वचा नरम, लचीली एवं कोमल हो जाती है। रोमकूप खुल जाते हैं। इससे शरीर के विजातीय तत्व पसीने के रूप में बाहर आने लगते हैं। त्वचा के छिद्र भरपूर श्वास लेने लायक हो जाते हैं जिससे त्वचा के अनेक रोग, चर्मरोग, दाद, खाज-खुजली, फोड़े-फुंसियां दूर होने लगती हैं। आयुर्विज्ञान में इसको 'रज स्नान' कहा गया है।
* छान्दोग्य उपनिषद् में मिट्टी को अन्य पंच तत्वों जल, पावक, गगन तथा समीर का सार कहा गया है। स्वास्थ्य सौन्दर्य और दीर्घायु का मिट्टी से प्रगाढ़ सबंध होता है। मिट्टी में अनेक रोगों के निवारण की अद्भुत क्षमता होती है।
मिट्टी में अनेकों प्रकार के क्षार, विटामिन्स, खनिज, धातु, रासायन रत्न, रस आदि की उपस्थिति उसे औषधीय गुणों से परिपूर्ण बनाती है। औषधियां कहां से आती है? जबाब होगा पृथ्वी, मतलब सारे के सारे औषधियां के भंडार होता पृथ्वी। अत: जो तत्व औषधियों में है, उनके परमाणु पहले से ही मिट्टी में उपस्थित रहते हैं।
मिट्टी कई प्रकार की होती है तथा इसके गुण भी अलग-अलग होते हैं। उपयोगिता के दृष्टिकोण सें पहला स्थान काली मिट्टी का है, उसके बाद पीली, सफेद और उसके बाद लाल मिट्टी का स्थान है। मिट्टी के विभिन्न प्रकारों और उनकी उपयोगिता को ध्यान में रखकर मिट्टी का चयन करना चाहिए। इसके उपयोग के पहले कुछ बातें जरूर ध्यान में रखें...
* मिट्टी चाहे किसी भी रंग या प्रकार की हो, उसका प्रयोग करते समय यह सुनिश्चित कर लें कि वह साफ-सुथरी हो, उसमें कंकड़, पत्थर, तिनके आदि न हों।
* जहां से मिट्टी लें वह स्थान भी साफ सुथरा होना चाहिए किसी कूड़े के ढेर के पास से मिट्टी न लें। यदि किसी खेत से मिट्टी ली जाए तो एक या डेढ़ फीट जगह खोदकर ही लेनी चाहिए।
* तालाब या नदी के तट की मिट्टी बहुत लाभदायक होती है। दो पकार की मिट्टियों को मिलाकर भी प्रयोग किया जा सकता है। बालू मिश्रित मिट्टी बहुत उपयोगी होती है।
विभिन्न किस्म की मिट्टी के प्रयोग
काली मिट्टी
यह मिट्टी चिकनी और काली होती है। इसके लेप से ठंडक पहुंचती है। साथ ही यह विष के प्रभाव को भी दूर करती है। यह सूजन मिटाकर तकलीफ खत्म कर देती है। जलन होने, घाव होने, विषैले फोड़े तथा चर्मरोग जैसे खाज में काली मिट्टी विशेष रूप से उपयोगी होती है। रक्त के गंदा होने और उसमें विषैले पदार्थों के जमाव को भी यह मिट्टी कम करती है। पेशाब रुकने पर यदि पेड़ू के ऊपर (पेट की नीचे) काली मिट्टी का लेप किया जाता है तो पेशाब की रुकावट समाप्त हो जाती है और वह खुलकर आता है। मधुमक्खी, कनखजूर, मकड़ी, बर्रे और बिच्छू के द्वारा डंक मारे जाने पर प्रभावित स्थान पर तुरंत काली मिट्टी का लेप लगाना चाहिए इससे तुरंत लाभ पहुंचता है।
पीली, सफेद व लाल मिट्टी
तालाबों तथा नदियों के किनारे पाई जाने वाली यह मिट्टी भी काली मिट्टी के समान ही लाभकारी होती है। सफेद मिट्टी से होने वाले लाभ भी पीली मिट्टी के समान ही हैं। लाल मिट्टी पहाड़ों पर मिलती है। इसके लाभ सफेद मिट्टी से कुछ कमतर होते हैं।
सज्जी मिट्टी
इस मिट्टी के प्रयोग से शरीर की पूरी तरह सफाई हो जाती है। यदि हड्डियां भंगुर और टूटती-सी प्रतीत होती हों तो इस मिट्टी के लेप से बहुत लाभ होता है। जोड़ों के दर्द में इस मिट्टी के लेप से विशेष लाभ पहुंचता है।
गेरू मिट्टी
लाल रंग की इस मिट्टी का प्रयोग मिट्टी खाने वाले बच्चों को मिट्टी के दुष्प्रभावों से बचाने के लिए किया जाता है। गेरू को घी में तलकर शहद मिलाकर देने से बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार आता है। जिनका स्वास्थ्य मिट्टी खाने की आदत के कारण बिगड़ गया है।
गोपी चन्दन
सफेद रंग की मिट्टी का लेप मस्तक पर लगाने से दिमाग की गरमी दूर होती है। सिर चकराने तथा सिर दर्द जैसी समस्याओं का निवारण भी इससे हो जाता है। मुंह में छाले होने की स्थिति में, पहले इस का लेप लगाना चाहिए तथा आधे घंटे बाद सादे पानी से कुल्ले कर लेने चाहिएं, छाले दूर हो जाएंगे।
मुल्तानी मिट्टी
गर्मियों में होने वाली घमौरियों के उपचार में मुल्तानी मिट्टी अचूक औषधि है। शरीर पर इसका पतला-पतला लेप खून की गर्मी को कम करता है। उबटन की तरह मुल्तानी मिट्टी का पयोग सुख और शरीर की कान्ति बढ़ाता है। तेज बुखार में तापमान तुरंत नीचे लाने के लिये सारे शरीर पर इसका मोटा-मोटा लेप करना चाहिए। सौंदर्य के लिए इसका विाेष प्रयोग होता है।
बालू
नदी या समुद किनारे की बालू शरीर की जलन, ताप तथा दाह को शांत करती है। सिर तथा मुंह को छोड़कर, सारे शरीर पर बालू चढ़ाकर घंटे भर पड़ा रहना, घबराहट, शारीरिक ताप, जलन और दाह को दूर करने का सबसे अच्छा उपाय है। आधी चिकनी मिट्टी और आधी बालू मिलाकर बनाए गए लेप की पट्टी बहुत लाभदायक होती है।
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