लाल रंग क्यों अच्छा लगता है, किन लोगों को कर सकता है परेशान, जानिए रोचक बातें
लाल रंग हमारी इंद्रियों तथा भाव-भंगिमाओं को उत्तेजित करता है।
यह शक्ति ऊर्जा तथा जीवन के प्रति उत्साह को दर्शाता है।
सकारात्मक स्तर पर यह जीवन में ताकत, खुशी-सुख एवं प्रेम को देने वाला होता है।
अग्नि का प्रमुख गहरा लाल रंग, मनुष्य की आदिम भावनाओं को जाग्रत कर देता है।
गहरा लाल एक ओर खतरा दिखाता है, वहीं सौम्य गुलाबी रंग मातृत्व की भावना जगाता है।
लाल रंग मानसिक रूप से परेशान तथा स्नायुविक तकलीफ वाले व्यक्तियों को ज्यादा परेशान कर देता है।
अतः इस रंग का प्रयोग ऐसे व्यक्ति के आसपास बहुतायत से नहीं करना चाहिए।
यह सभी रंगों में सबसे धीमी वाइब्रेशन वाला रंग है, जो भावनाओं को अन्य रंगों की अपेक्षा जल्दी प्रभावित करता है।
इसमें शोध के दौरान पाया गया कि जब कोई व्यक्ति लाल रंग के संपर्क में आता है, तब एंडोक्राइन पिट्यूटरी ग्लैंड सक्रिय हो जाती है। यह काम कुछ सेकंड का ही समय लेता है। पिट्यूटरी ग्लैंड से एडरीनलिन का स्राव बढ़ जाता है तथा स्राव रक्त में मिलकर अपना प्रभाव अनेक स्तर पर दर्शाता है।
रक्तचाप बढ़ जाता है। रक्त का बहाव तीव्र हो जाता है एवं श्वास की गति बढ़ जाती है। स्वाद कलिका अतिसंवेदनशील हो जाती है तथा भूख भी बढ़ जाती है। हमारी सूंघने की शक्ति भी बढ़ जाती है।
लाल रंग भूख बढ़ाने में सहायक होता है।
इसी कारण कई महंगे रेस्त्रां लाल मेजपोश तथा लाल नेपकिन का प्रयोग करते हैं।
लाल रंग की किरणें हीमोग्लोबिन बनाने में सहायक होती हैं तथा लीवर को ताकत देती हैं। यह रंग शरीर में जमा फालतू खनिज तत्वों को तोड़कर निष्कासित करता है।
खून की कमी, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, कब्ज, लकवा, तपेदिक में लाल रंग लाभकारी होता है।
भावनात्मक कष्ट, उन्माद, बुखार, सूजन, उच्च रक्तचाप, मानसिक रोग की स्थिति में लाल रंग से बचना बेहतर है।
लाल रंग पसंद करने वाले लोग बहिर्मुखी होते हैं। इनका मूड निरंतर बदलता रहता है तथा आक्रामक एवं आवेगपूर्ण रहता है।
ये आशावादी होने के साथ शिकायती भी होते हैं तथा निरंतर आवाज उठाते रहते हैं।
पुरुष पीले मिश्रित लाल रंग की ओर सहज आकृष्ट होते हैं।
वहीं महिलाओं को नीला मिश्रित लाल रंग अपनी ओर खींचता है।