Hanuman Chalisa

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

खीर खाएं मलेरिया भगाएंं, जानें वैज्ञानिक महत्व

Advertiesment
हमें फॉलो करें Sharad Poornima
शरद ऋतु में पूर्ण‍िमा की चांदनी में रखी खीर का विशेष महत्व होता है, क्योंकि इसे अमृतवर्षा से जोड़कर देखा जाता है। इस दिन खीर के माध्यम से अस्थमा और कई अन्य बीमारियों का भी इलाज किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं, कि मलेरिया होने पर भी खीर बेहद फायदेमंद साबित हो सकती है। जानिए कैसे - 

 
 
हमारी हर प्राचीन परंपरा कहीं न कहीं विज्ञान की कसौटी पर भी खरी उतरती है। श्राद्ध से लेकर शरद पूर्णिमा तक जो खीर हम खाते हैं वह हमें कई तरह के फायदे पहुंचाती है। जानें, मलेरिया में कैसे यह प्रभावकारी है...
 
जैसा कि हम सब जानते हैं, मच्छर काटने से मलेरिया होता है। वर्ष में कम से कम 700-800 बार तो मच्छर काटते ही होंगे अर्थात 70 वर्ष की आयु तक पहुंचते-पहुंचते लाख बार मच्छर काट लेते होंगे। लेकिन अधिकांश लोगों को जीवनभर में एक-दो बार ही मलेरिया होता है। सारांश यह है मच्छर के काटने से मलेरिया होता है, यह 1% ही सही है। 

खीर खाओ मलेरिया भगाओ -  यहां ऐसे विज्ञापनो की कमी नहीं है, जो कहते हैं, एक भी मच्छर ‘डेंजरस’ है, हिट लाओगे तो एक भी मच्छर नहीं बचेगा। अब ऐसे विज्ञापनों के बहकावे में आकर करोड़ों लोग इस मच्छर बाजार में अप्रत्यक्ष रूप से शामिल हो जाते हैं। सभी जानते हैं बैक्टीरिया, बगैर उपयुक्त वातावरण के नहीं पनप सकते।
webdunia

जैसे दूध में दही डालने मात्र से दही नहीं बनाता, बल्कि इसके लिए दूध हल्का गरम होना चाहिए। उसे ढंककर गरम वातावरण में रखना होता है। बार-बार हिलाने से भी दही नहीं जमता।
 
ऐसे ही मलेरिया के बैक्टीरिया को जब पित्त का वातावरण मिलता है, तभी वह 4 दिन में पूरे शरीर में फैलता है, नहीं तो थोड़े समय में समाप्त हो जाता है। इतने सारे प्रयासों के बाद भी मच्छर और रोगवाहक सूक्ष्म कीट नहीं काटेंगे यह हमारे हाथ में नहीं। 
 
लेकिन पित्त को नियंत्रित रखना तो हमारे हाथ में है। अब हमारी परंपराओं का चमत्कार देखिए। क्यों खीर खाना इस मौसम में अनिवार्य हो जाता है। वास्तव में खीर खाने से पित्त का शमन होता है। वर्षा ऋतु के बाद जब शरद ऋतु आती है तो आसमान में बादल व धूल के न होने से कड़क धूप पड़ती है। जिससे शरीर में पित्त कुपित होता है। इस समय गड्ढों आदि मे जमा पानी के कारण बहुत बड़ी मात्रा मे मच्छर पैदा होते हैं इससे मलेरिया होने का खतरा सबसे अधिक होता है।

शरद में ही पितृ पक्ष (श्राद्ध) आता है पितरों का मुख्य भोजन है खीर। इस दौरान 5-7 बार खीर खाना हो जाता है। इसके बाद शरद पूर्णिमा को रातभर चांदनी के नीचे चांदी के पात्र में रखी खीर सुबह खाई जाती है। यह खीर हमारे शरीर में पित्त का प्रकोप कम करती है। 
webdunia

शरद पूर्णिमा की रात में बनाई जाने वाली खीर के लिए चांदी का पात्र न हो तो चांदी का चम्मच खीर में डाल दे, लेकिन बर्तन मिट्टी, कांसा या पीतल का हो। (क्योंकि स्टील जहर और एल्यूमिनियम, प्लास्टिक, चीनी मिट्टी महा-जहर है) यह खीर विशेष ठंडक पहुंचाती है। गाय के दूध की हो तो अति उत्तम, विशेष गुणकारी होती है। इससे मलेरिया होने की संभावना नहीं के बराबर हो जाती है।  
 
इस ऋतु में बनाई जाने वाली खीर में केसर और मेवों का प्रयोग कम करें। यह गर्म प्रवृत्ति के होने से पित्त बढ़ा सकते हैं। हो सके तो सिर्फ इलायची और चारोली डालें। जायफल अवश्य डालें। 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

चटपटी कविता : किसने बोला