दिल की बीमारी का खतरा दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है। युवा पीढ़ी हो या बुजुर्ग हर कोई इसकी चपेट में आ रहे हैं। कुछ दिन पहले ही आंध्र प्रदेश के एक मंत्री और गुजरात में एक रेडियो जोकी की हार्ट अटैक से मौत हो गई। वहीं कुछ दिन पहले 32 साल की आंत्रप्रेन्योर की भी हार्ट अटैक से मौत हो गई थी। जिसके कई सारे कारण हो सकते हैं। लेकिन कोविड के बाद इसका खतरा बहुत अधिक बढ़ गया है। इसी बीच वैज्ञानिकों ने एक खोज की है जिससे तीन साल पहले ही हार्ट अटैक के खतरे का पता लगाया जा सकेगा।
वैज्ञानिकों ने हार्ट अटैक के पूर्व पीड़ितों के सी-रिएक्टिव प्रोटीन की जांच की है। जिसका मतलब होता है कि ऐसा संकेत जो इंफ्लेमेशन के बारे में बताता है। इसी के ट्रोपोनिन का भी स्टैंडर्ड टेस्ट किया गया। वह प्रोटीन है जो हार्ट डैमेज होने पर खून से निकलता है। रिपोर्ट से यह पता चलता है कि NHS करीब ढाई लाख रोगियों में जिनका CRP लेवल बढ़ा हुआ था। वहीं ट्रोपोनिन टेस्ट में पॉजिटिव पाए गए थे, तीन वर्ष में मौत की संभावना करीब 35 फीसदी थी।
ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन के प्रोफेसर जेम्स लीपर ने कहा कि, 'यह डॉक्टर की मेडिकल किट में शामिल होने वाला बेहतरीन टूल है।' वहीं एक स्टडी में पाया गया कि दिन में करीब 4 घंटे तक एक्टिव रहने पर हार्ट डिजीज का खतरा 43 फीसदी तक कम किया जा सकता है। गौरतलब है कि कोविड के बाद से हार्ट डिजीज के केस तेजी से बढ़ रहे हैं। युवाओं से लेकर बुजुर्ग तक सभी इसकी चपेट में आ रहे हैं।