Covid-19 से बचाव में कितनी कारगर है मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थेरेपी? जानिए कब और कौन ले सकता है
कोरोना वायरस से बचाव के लिए वैज्ञानिकों द्वारा लगातार शोध जारी है। अलग-अलग प्रकार से कम समय में खोज की जा रही है ताकि कोरोना वायरस से निपटने में सक्षम हो जाए। और एक बार फिर से जिंदगी पटरी पर लौट सकें। लेकिन कोविड-19 वायरस लगातार म्यूटेट हो रहे हैं। जिस वजह से एक जैसा ट्रीटमेंट भी संभव नहीं हो पा रहा है। अलग-अलग लक्षण के मुताबिक अलग-अलग तरह से ट्रीटमेंट दिया जा रहा है। वहीं कोविड-19 से बचाव के लिए मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कारगर बताई जा रही है। हालांकि इसका ट्रीटमेंट जरूर महंगा है। लेकिन यह अलग-अलग वैरियंट पर कारगर साबित हो रही है। आइए जानते हैं क्या है मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थैरेपी और किस तरह कारगर है।
क्या है मोनोक्लोनल एंटीबॉडी?
दरअसल, यह दो दवाओं का मिक्सचर है। दो दवा कासिरिविमाब और इम्देवीमाब के डोज को मिलाकर तैयार किया है। इसमें दो एंटीबॉडी का मिश्रण कृत्रिम तरीके से लैब में तैयार किया गया है। इसे एंटीबॉडी कॉकटेल भी कहा जाता है।
कैसे काम करती है मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थैरेपी?
यह दवा शरीर में पहुंचने के बाद वायरस को ब्लॉक कर देती है। जिसके कारण वायरस शरीर की दूसरी कोशिकाओं में प्रवेश नहीं कर पाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि दवा के डोज के बाद शरीर में वायरस को फैलने और बढ़ने के लिए जरूरी पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं। दवा शरीर में वायरस को मल्टीप्लाई होने से रोकती है। और इस तरह वह वायरस को बेअसर कर देती है।
कब और कौन ले सकता है?
दरअसल, कोविड-19 से पॉजिटिव होने के बाद वायरस पहले के 7 दिनों में तेजी से फैलता है। और तेजी से वह मल्टीप्लाइ होने लगता है। इस दवा को 48 से 72 घंटे के भीतर देने का सही समय है। कोविड पॉजिटिव होने पर जितनी जल्दी यह दवा दी जाए उतना सही है।
हालांकि यह दवा डॉक्टर की सलाह से ही लें। यह दवा खासकर माइल्ड और मोडरेट मरीजों के लिए अधिक कारगर है। एक शोध में सामने आया है कि डायबिटीज, कैंसर, ब्लडप्रेशर, किडनी सहित दूसरी बीमारी से जूझ रहे मरीजों को यह दवा तुरंत दी जाने की सलाह दी जा रही है। इसका इस्तेमाल कर करीब 70 फीसदी मरीजों को अस्पताल जाने से बचाया जा सकता है।
12 साल से अधिक उम्र के लोगों को यह दवा दी जा सकती है लेकिन 40 किलो से अधिक वजन होना चाहिए। साथ ही यह वायरस कुछ लोगों पर बहुत कम असरदार है। जैसे - ऑक्सीजन सपोर्ट पर रह रहे हैं, अस्पताल में भर्ती, फेफड़ों में वायरस का संक्रमण बढ़ गया हो।
कोविड के वैरिएंट पर दवा असरदार?
विशेषज्ञों के मुताबिक यह एंटीबॉडी लैब में आर्टिफिशियल तरीके से बनाई गई है। यह नए वेरिएंट पर भी बेअसर नहीं होगी। लेकिन इस दवा का असर 3 से 4 सप्ताह के लिए ही होता है। और इसके एक डोज की कीमत करीब 60 हजार रूपए है। लेकिन वैक्सीनेशन के बाद अगर रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो यह दवा कारगर है। लेकिन रिपोर्ट पॉजिटिव नहीं आने पर डॉ इसे लेने की सलाह नहीं देता है। इस दवा को 2 से 8 डिग्री के तापमान पर रखा जाता है। वहीं एक दवा के पैकेट से दो लोगों का इलाज किया जाता है।
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