महामारी कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में तबाही मचा रखी है। वैज्ञानिकों द्वारा इस संक्रमण पर लगातार शोध किया जा रहा है। लेकिन इस वायरस के असल लक्षण अभी तक भी समझ में नहीं आए है। हालांकि इस बीच वैक्सीनेशन जरूर बन गई है। भारत में अभी तक करीब 8.4 फीसदी लोगों का वैक्सीनेशन हो चुका है। लेकिन लोगों में एंटीबॉडी विकसित करने के लिए लगातार वैक्सीनेशन के अलावा एक और पद्धति का इस्तेमाल किया जा रहा है। वह है प्लाज्मा थेरेपी। तो आइए सबसे पहले जानते हैं प्लाज्मा थेरेपी क्या है? इसके फायदे और नुकसान क्या है?
प्लाज्मा थेरेपी क्या है?
दरअसल प्लाज्मा खून का ही एक हिस्सा है। यह बॉडी में करीब 52 से 62 फीसदी तक होता है। इसका रंग पीला होता है। इसे खून से अलग किया जाता है। कोविड -19 से ठीक हो चुके मरीजों में एंटीबॉडी विकसित हो चुकी होती है। कोविड से ठीक हुए मरीजों की बॉडी से खून निकाल कर उसमें से प्लाज्मा अलग किया जाता है। और यह कोविड मरीजों को चढ़ाया जाता है। हालांकि प्लाज्मा में एंटीबॉडी बन गई होती है इसलिए इससे मरीज जल्दी रिकवर होता है। डॉ के मुताबिक एक व्यक्ति के प्लाज्मा से 2 मरीज ठीक हो सकते हैं। बता दें कि एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को ब्लड देने के बाद उसमें से प्लाज्मा किसी दूसरे मरीज को चढ़ाने की प्रक्रिया को कंवलसेंट प्लाज्मा थेरेपी कहते हैं।
हालांकि प्लाज्मा थेरेपी वैज्ञानिकों को बहुत ज्यादा प्रभावी नहीं लगी। वैज्ञानिकों का मानना है कि इससे मौत में कोई कमी दर्ज नहीं की गई। लेकिन भारत में यह कारगर साबित हो रही है अन्य देशों के मुकाबलें।
प्लाज्मा थेरेपी के फायदे
1.प्लाज्मा थेरेपी वैक्सीन के मुकाबले जल्दी काम करती है। क्योंकि इसमें एंटीबाॅडी तैयार रहती है। वही वैक्सीन से हमारी बॉडी में ही एंटीबॉडी तैयार होती है।
2.प्लाज्मा कोविड से ठीक होने के 14 दिन बाद आप ब्लड डोनेट कर सकते हो।
3.एक बार प्लाज्मा डोनेट करने पर दो लोगों की मदद की जा सकती है।
4.प्लाज्मा थेरेपी से संक्रमण खत्म नहीं होता है लेकिन आपका इम्यून सिस्टम बूस्ट हो जाता है। इससे आपकी बॉडी वायरस के खिलाफ एंटीबाॅडी बनाने लगती है।
प्लाज्मा थेरेपी के नुकसान
प्लाज्मा थेरेपी एक मान्य प्रक्रिया जरूर है लेकिन WHO द्वारा इसे अधिक कारगर नहीं माना गया है। जी हां, क्योंकि इसके प्रयोग से बहुत अधिक अच्छे परिणाम सामने नहीं आएं।
प्लाज्मा थेरेपी के बाद रिएक्शन का खतरा बढ़ जाता है। इससे एलर्जिक रिएक्शन, फेफड़ों को नुकसान और सांस लेने में तकलीफ, हेपेटाइटिस बी और सी के रिएक्शन का खतरा और सबसे बड़ा HIV का खतरा होता है। हालांकि डॉ की निगरानी में सही तरह से प्लाज्मा डोनेट कर रिस्क को कम भी किया जा सकता है।
जानकारी के लिए बता दें कि प्लाज्मा सभी लोग दान नहीं कर सकते हैं। जी हां, गर्भवती महिलाएं, डायबिटीज, हार्ट मरीज, लिवर, किडनी मरीज, और कैंसर मरीज भी प्लाज्मा डोनेट नहीं कर सकते हैं।