योग क्रियाएँ शरीर के अंदर और बाहर के विकारों को तो ठीक करती ही है, मन को शांति भी देती है। तनाव या पीड़ा शारीरिक हो या मानसिक उसका सारे जीवन पर असर पड़ता है। योग की परंपरा सदियों पुरानी है जो आज भी उतनी ही सक्षम है जितनी पहले हुआ करती थी।
अंतर यह है कि आज योग क्रियाओं और आसनों के साथ वैज्ञानिक पहलुओं को भी जोड़ लिया गया है। योग के साथ आधुनिक विज्ञान के जुड़ने से यह ज्यादा प्रभावी हो गया है। पद्मासन में पालथी मारकर बैठा जाता है। इसमें पहले दाएँ पैर के टखने को बाएँ कूल्हे पर इस तरीके से धीरे-धीरे लाएँ कि पैर का तलवा ऊपर की ओर रहे। इसी प्रकार से बाएँ पैर को दाएँ कूल्हे पर रखें।
इस पैर का तलवा भी ऊपर की ओर ही रहना चाहिए। इस स्थिति में जितनी देर आराम से बैठा जा सके बैठे रहें और प्राणायाम करें। शुरुआत कम समय से करें। योग विशेषज्ञ आचार्य विजय जी बताते हैं कि इस सामान्य से आसन के बहुत से फायदे हैं।
रजोनिवृत्ति के समय महिलाओं को जो कष्ट होते हैं यह आसन करने से उन्हें उस दर्द से छुटकारा मिल सकता है। नियमित पद्मासन किया जाए तो गर्भवती महिलाओं को बच्चे को जन्म देने में आसानी होती है।
पद्मासन के नियमित अभ्यास से पेट सहित शरीर के निचले हिस्से का अच्छा खासा व्यायाम हो जाता है। दूसरे कूल्हों, घुटनों और टखनों में भी लचीलापन आता है। इससे शरीर के कई केंद्र पर दबाव पड़ता है जिससे शरीर के कई अंग अपना काम सुचारु रूप से और पूरी क्षमता से करते हैं।
योगासनों और विज्ञान के तालमेल द्वारा किसी भी गंभीर बीमारी के प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है। आसनों को नियमित करने से शरीर का लचीलापन बना रहता है। रक्त संचार ठीक रहने के साथ ही नया रक्त बनाने और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी सहयोग मिलता है।