न्यूयॉर्क। दुनियाभर में स्तन कैंसर के कारण महिलाओं की मौत का आंकड़ा दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है और इसमें अब इसमें चिंताजनक बात यह सामने आई है कि कई बार यह कैंसर स्तनों के एक्स-रे (मैमोग्राम) में भी पकड़ में नहीं आता।
अमेरिका में हाल ही में किए गए शोध के अनुसार कई बार महिलाओं के मैमोग्राम में यह पाया जाता है कि उनके स्तनों के आकार में बेहद असमानता है या किसी प्रकार की अतिरिक्त कोशिकाएं हैं। इन असामान्य कारणों का पता लगाने के लिए अतिरिक्त टेस्ट किए जाते हैं, लेकिन किसी भी परीक्षण में कुछ पता नहीं चल पाता।
चिकित्सक ऐसी रिपोर्ट को ‘फाल्स पॉजिटिव’ रिपोर्ट करार देते हैं। ‘फाल्स पॉजिटिव’ रिपोर्ट वाली महिलाओं में आगे चलकर स्तन कैंसर का खतरा सामान्य की तुलना में कई गुना अधिक होता है।
शोध के अनुसार ‘फॉल्स पॉजिटिव’ परिणाम वाली महिलाओं में ‘नकारात्मक परिणाम’ वाली महिलाओं की तुलना में कैंसर होने का खतरा 39 प्रतिशत बढ़ जाता है।
यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कैरोलिना के शोधकर्ता लुईस हेंडरसन ने कहा कि फाल्स पॉजिटिव परिणाम वाली महिलाओं में कैंसर का खतरा बढ़ जाता है, क्योंकि एक्स-रे में या इसके बाद की जांचों में यह पकड़ में नहीं आता लेकिन बाद में यह कैंसर का रूप ले सकता है। बीमारी की जद में होते हुए भी बीमारी का पता नहीं लग पाना बेहद गंभीर स्थिति है।
फॉल्स पॉजिटिव परिणाम वाली महिलाओं में कैंसर के खतरे का पता लगाने के लिए हेंडरसन और उनके सहयोगियों ने वर्ष 1994 से 2009 के बीच 40 से 75 उम्र वाली 10 लाख 30 हजार महिलाओं पर किए गए 20 लाख 20 हजार से ज्यादा मैमोग्राम के आंकड़ों का अध्ययन किया।
इनमें से फॉल्स पॉजिटिव परिणाम वाली 1 लाख 59 हजार 488 महिलाओं को अतिरिक्त एक्स-रे के लिए भेजा गया और उनमें से 4,742 महिलाओं में बाद में कैंसर का पता चला।
विशेषज्ञों का मानना है कि थ्रीडी मैमोग्राम के जरिए कैंसर का ज्यादा बेहतर पता चल सकता है और फॉल्स पॉजिटिव परिणाम वाली महिलाओं को अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है। (वार्ता)